आरएसएस महान संगठन, पर विचाराधारा से सहमति जरूरी नहीं : अजीम प्रेमजी
नयी दिल्ली : इन्फोसिस संस्थापक नारायण मूर्ति के पिछले सप्ताह आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मिलने के बाद एक और मशहूर उद्योगपति व विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी के द्वारा रविवार को आरएसएस का मंच साझा करने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. प्रेमजी यहां संघ से जुडे राष्ट्रीय सेवा भारती […]
नयी दिल्ली : इन्फोसिस संस्थापक नारायण मूर्ति के पिछले सप्ताह आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मिलने के बाद एक और मशहूर उद्योगपति व विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी के द्वारा रविवार को आरएसएस का मंच साझा करने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. प्रेमजी यहां संघ से जुडे राष्ट्रीय सेवा भारती के शनिवार को शुरू हुए तीन राष्ट्रीय सेवा संगम नामक सम्मेलन में हिस्सा लेने यहां आये. उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य लोगों के साथ मंच साझा किया.
इस दौरान अजीम प्रेमजी ने आरएसएस को महान संगठन बताया. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी के मंच को साझा करने का मतलब विचारधारा को स्वीकार करना नहीं होता. उन्होंने कहा कि मुङो जब यहां का निमंत्रण मिला तो कुछ लोगों ने यह आशंका जतायी कि मैं यहां आता हूं, तो इसे मेरे द्वारा संघ की विचारधारा को स्वीकार करना माना जाएगा. लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता हूं और मैं बिल्कुल ही एक राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं. उन्होंने संघ के कार्यक्रम में शामिल होने पर प्रसन्नता प्रकट की.
अजीम प्रेमजी ने अपने संबोधन में भ्रष्टाचार से लडने, महिलाओं व बच्चों के उत्थान के लिए कार्य करने, वंचित वर्गो के लिए अहम कार्य करने का आहवान किया. विप्रो प्रमुख ने गरीबी उन्मूलन के लिए बडे प्रयास करने की जरूरत बतायी और कि इस देश के निर्माण के लिए शिक्षा सबसे अहम चीज है और इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
अजीम प्रेमजी ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा का मतलब सिर्फ पैसा या लाभ प्राप्त करना नहीं है. उन्होंने शिक्षा के अल्प बजट पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इसके लिए जितना काम करना चाहिए, उतना नहीं किया गया. अजीम प्रेमजी के अलावा कुछ अन्य उद्योगपति भी संघ के कार्यक्रम में मौजूद थे.