हमारे देश में धर्म का नाम लेने पर कुछ लोगों को बिच्छू काटता हैः होसबोले

इंदौर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबोले ने कहा कि हमारे देश में धर्म का नाम लेने पर ही कुछ लोगों को बिच्छू काटता है. जबकि धर्म का अर्थ व्यापक और गूढ है और धर्म हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और परमार्थ का मार्ग है. पंडित दीनदयाल शोध संस्थान मित्र मंडल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2015 4:25 PM

इंदौर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबोले ने कहा कि हमारे देश में धर्म का नाम लेने पर ही कुछ लोगों को बिच्छू काटता है. जबकि धर्म का अर्थ व्यापक और गूढ है और धर्म हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और परमार्थ का मार्ग है.

पंडित दीनदयाल शोध संस्थान मित्र मंडल द्वारा कल शाम यहां आयोजित ‘एकात्म मानव दर्शन, धर्म एवं मोक्ष’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए होसबोले ने कहा, ‘धर्म के प्रति अज्ञानता के कारण हमारे देश में धर्म कहते ही कुछ लोगों को बिच्छू काटता है. वह धर्म को घर में एक घंटा पूजा करने के बाद ताले में बंद करने को कहते हैं, क्योंकि वह धर्म को पंथ या रिलीजन समझते हैं. जबकि धर्म तत्व गूढ और व्यापक है. धर्म जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और परमार्थ का मार्ग है.’

उन्होंने कहा कि खासकर स्वतंत्र भारत के बाद हमारे देश के लोगों को यह समझा दिया गया है कि धर्म माने कोई बहुत गलत चीज है. इसको सर्वथा दूर रखना चाहिये. हजारों वर्षो से जिस एक अवधारणा को लेकर देश में जीवन की सभ्यता, विचार, व्यवस्थाएं, प्रतिभाएं और मान्यताएं विकसित हुए स्वतंत्र भारत में उसी अवधारणा को नकारने का दुर्भाग्यपूर्ण काम हुआ है.

उन्होंने कहा कि धर्म को पंथ मानने की अज्ञानता के कारण धर्म के बारे में लोगों को गलत फहमी हो गयी है. लोग मानने लगे हैं कि धर्म तोडता है और आधुनिक समाज में धर्म और एकात्म मानववाद को एक दकियानूसी विचार माना जा रहा है.

होसबोले ने कहा धर्म का अर्थ व्यापक है. धर्म और पंथ या रिलीजन एक नहीं है. इसलिये धर्म राज्य पंथ राज्य नहीं है. धर्म मानव और जानवर में अंतर करता है. धर्म जोडने का काम करता है और यह जीवन और सृष्टि का आधार है.उन्होंने कहा पं. दीनदयाल उपाध्याय के अनुसार भारतीय लोकतंत्र में असांप्रदायिक धर्म राज्य होना चाहिये. धर्म की विशाल व्याख्या को हमें अपने देश के सार्वजनिक जीवन विशेषकर राजनीतिक जीवन में लाना चाहिये.

Next Article

Exit mobile version