विहिप ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का विरोध करने पर अलगाववादियों की आलोचना की

इलाहाबाबाद: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दशकों से निर्वासन में रह रहे कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए प्रस्तावित साझे टाउनशिप का विरोध किये जाने पर कडी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अलगाववादियों को यह कहने का अधिकार नहीं है कि जम्मू कश्मीर में धार्मिक अल्पसंख्यक कहां रहेंगे और व्यवसाय करेंगे. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2015 12:33 AM

इलाहाबाबाद: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दशकों से निर्वासन में रह रहे कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए प्रस्तावित साझे टाउनशिप का विरोध किये जाने पर कडी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अलगाववादियों को यह कहने का अधिकार नहीं है कि जम्मू कश्मीर में धार्मिक अल्पसंख्यक कहां रहेंगे और व्यवसाय करेंगे.

विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगडिया ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘कश्मीर घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडितों और सिखों को 1990 के दशक में पाकिस्तान समर्थित अलगाववादियों के हाथों बेइंतहा नृशंसता से गुजरना पडा. इसी के चलते इन अल्पसंख्यकों को अपने प्रदेश में धन संपत्ति छोडकर देश के अन्य हिस्सों में शरण लेने के लिए बाध्य होना पडा. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब जब उनके पुनर्वास के लिए बिल्कुल सटीक वैध कदम उठाया जा रहा है तो ये अलगाववादी विरोध जता रहे हैं. ’’
तोगडिया का बयान उस विवाद के बाद आया है जो जम्मू कश्मीर में उन साझे टाउनशिपों के केंद्र की राजग सरकार के प्रस्ताव को लेकर राज्य में उत्पन्न हो गया है. इन टाउनशिपों में विस्थापित कश्मीरी पंडित लौट सकते हैं.
अलगाववादी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. इसी बीच मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी इस्राइल की तरह की बस्तियां को नामंजूर कर दिया है और स्पष्ट किया है कि पंडितों को अलग थलग समुदाय के रुप में नहीं बल्कि कश्मीरी समाज के हिस्से के तौर पर फिर से राज्य की मुख्य धारा में शामिल किया जाएगा.

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