नयी दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भारत आ चुके हैं और वह जल्द ही जनता के सामने आयेंगे, लेकिन बिलकुल बदले रूप में. राहुल के शुरुआती राजनीतिक दिनों में जो लोग उनके भीतर स्वर्गीय राजीव गांधी की छवि तलाशते थे, उनकी यह तलाश अब पूरी होती नजर आ सकती है. राहुल के जनता के सामने प्रभावशाली तरीके से आने की रणनीति दस जनपथ में बेहद गुप्त रूप से बन रही है.
19 अप्रैल को दिल्ली की किसान रैली और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती समारोह के अलावा भी कुछ विकल्पों पर विचार चल रहा है. मुमकिन है कि राहुल 15 अप्रैल को सामने आ जायें. यह कहना है कांग्रेस में दस जनपथ के बेहद करीबी एक नेता का. लेकिन, राहुल दिल्ली में हैं या नहीं इस पर इनमें से किसी भी नेता ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. यह जरूर कहा कि वह दस जनपथ या 12 तुगलक लेन स्थित अपने घर पर नहीं हैं.
* मोबाइल-मेल से संपर्क में थे : सूत्र के मुताबिक, अज्ञातवास के दौरान भी राहुल कुछ चुनिंदा लोगों के संपर्क में रहे. मोबाइल एसएमएस और ई-मेल दोनों के जरिये उनसे संपर्क होता रहा है. कुछ अहम मसलों पर उन्होंने अपने निर्देश भी भेजे. उन्होंने कुछ दिन विपश्यना (एक योग) भी की. हालांकि, उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चिंतकों, जरूरी विषयों और प्रासंगिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया.
* गये थे म्यांमार और बैंकॉक
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने से परिवार के बेहद निकट रहे एक नेता के मुताबिक, राहुल नाराज होकर या रूठ कर अज्ञातवास में नहीं गये, बल्कि सोनिया और प्रियंका गांधी को विश्वास में लेकर अपनी कायापलट की योजना के तहत घर से बाहर गये थे. अज्ञातवास में राहुल कहां गये, इसका जवाब चुप्पी से देनेवाले इस कांग्रेसी नेता के मुताबिक, पिछले दस साल के अपने राजनीतिक जीवन पर विचार मंथन के साथ-साथ राहुल ने इस अज्ञातवास में बहुत कुछ सीखा है.
उन्होंने देश, पार्टी और परिवार के इतिहास के साथ आरएसएस के इतिहास को भी गंभीरता से समझा. अपने व्यक्तित्व, कार्यशैली, व्यवहार, भाषण शैली में कुछ जरूरी बदलाव करने की कवायद भी की है. परदे के पीछे की रणनीति में माहिर एक अन्य कांग्रेसी ने बताय, राहुल म्यांमार और बैंकाक गये थे.