संसद में पीएम और जेटली के बीच वाक् युद्ध

नयी दिल्ली: आम तौर पर शांत रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज काफी आक्रामक तेवर में दिखे और मुख्य विपक्षी दल भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वह संसद की कार्यवाही बार- बार बाधित कर निवेशकों के विश्वास को नुकसान पहुंचा रही है. इसके बाद दोनों पक्षों में वाक्युद्ध शुरु हो गया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2013 3:54 PM

नयी दिल्ली: आम तौर पर शांत रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज काफी आक्रामक तेवर में दिखे और मुख्य विपक्षी दल भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वह संसद की कार्यवाही बार- बार बाधित कर निवेशकों के विश्वास को नुकसान पहुंचा रही है. इसके बाद दोनों पक्षों में वाक्युद्ध शुरु हो गया.

सिंह ने राज्यसभा में कहा कि संसद में कामकाज सामान्य रूप से होने के संबंध में मुख्य विपक्षी दल को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और यह सिर्फ सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है.

रुपये की कीमत में आ रही गिरावट पर दिये बयान पर सदस्यों द्वारा पूछे गये स्पष्टीकरण का जवाब देते हुए सिंह ने यह टिप्पणी की. सिंह ने कहा कि आम सहमति तैयार करना सरकार और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी होती है.

सरकार की लगातार आलोचना करने के लिए भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ साल का अगर रिकार्ड देखा जाये तो ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्य विपक्षी पार्टी यह नहीं पचा पा रही है कि वह नौ साल पहले सत्ता से बाहर हो गयी है.

सत्ता पक्ष और भाजपा सदस्यों के बीच वाक युद्ध के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद देश का सर्वोच्च निकाय है लेकिन सत्र दर सत्र इसे चलने नहीं दिया जा रहा जिससे निवेशकों का विश्वास प्रभावित होगा.

भाजपा द्वारा निशाना बनाये जाने से नाराज सिंह ने आसन से कहा, क्या आपने किसी ऐसे देश के बारे में सुना है जहां प्रधानमंत्री को अपने मंत्रियों का परिचय नहीं देने दिया गया. उन्होंने कहा, क्या आपने ऐसी संसद के बारे में सुना है जहां विपक्ष प्रधानमंत्री चोर है का नारा लगाता है.

सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने जवाबी हमला करते हुए कहा, क्या आपने ऐसे किसी देश के बारे में सुना है जहां प्रधानमंत्री ने सांसदों का मत खरीद कर विश्वास मत हासिल किया हो. इसका कांग्रेस के कई सदस्यों ने तीखा विरोध किया.

भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित किये जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे जरुरी कामकाज नहीं हो पाता. उन्होंने हालांकि कहा कि उनकी सरकार किसी भी दोषी व्यक्ति को नहीं बचाना चाहती.

आज कहा कि सरकार को अब अधिक मुश्किल सुधारों को आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को एक स्थिर और टिकाऊ वृद्धि की राह पर ले जाने के लिए कठिन सुधारों मसलन सब्सिडी में कमी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को आगे बढ़ाना होगा.

संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, पूर्व के आसान सुधार पूरे हो चुके हैं. अब हमें कठिन सुधारों. मसलन सब्सिडी में कटौती, बीमा एवं पेंशन क्षेत्र सुधार, लालफीताशाही को समाप्त करना और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को पूरा करना है. सिंह ने विपक्षी दलों से इन मुश्किल सुधारों पर सहमति बनाने की अपील की. ये कठिन सुधार हैं, पेड़ पर नीचे लटके फलों की तरह नहीं हैं (जिन्हें हाथ बढा कर तोड़ लिया जाये).

इन पर सक्रिय राजनीतिक सहमति बनाने की जरुरत है. उन्होंने कहा, मैं राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे इस दिशा में आगे बढ़ें और अर्थव्यवस्था को स्थिर और टिकाऊ वृद्धि की राह पर लाने के लिए सरकार के प्रयासों में साथ दें. तीन बजे लोकसभा की बैठक पुन: शुरु होने पर आंध्र प्रदेश से तेदेपा और कांग्रेस के कुछ सदस्य पहले की ही तरह एकीकृत आंध्र प्रदेश के समर्थन में हाथों में पर्चे लिये आसन के समीप आ गये और नारे लगाने लगे.

हंगामें के बीच ही पीठासीन सभापति फ्रांसिसको सरदिन्हा ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा और वहां राहत एवं पुननिर्माण के लिए भारत सरकार द्वारा किये गये उपायों के मुद्दे पर नियम 193 के तहत विशेष चर्चा शुरु करने को कहा.

सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक सदन में व्यवस्था कायम नहीं होती वह इतने संवेदनशील मामले पर अपनी बात कैसे रख पायेंगी.हंगामा थमता नहीं देख पीठासीन सभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

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