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नियंत्रण रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा स्वीकार करना कश्मीर समस्या का सबसे व्यावहारिक हल : उमर

वाशिंगटनः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह कहते हुए कि कश्मीर में यथास्थिति कायम रहना इसकी समस्या का जवाब नहीं है इस बात पर जोर दिया कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) को ऐसी अंतरराष्ट्रीय सीमा में तब्दील कर दिया जाना चाहिए जिसमें लोगों और सामानों की मुक्त आवाजाही की इजाजत हो. उमर ने […]

वाशिंगटनः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह कहते हुए कि कश्मीर में यथास्थिति कायम रहना इसकी समस्या का जवाब नहीं है इस बात पर जोर दिया कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) को ऐसी अंतरराष्ट्रीय सीमा में तब्दील कर दिया जाना चाहिए जिसमें लोगों और सामानों की मुक्त आवाजाही की इजाजत हो.

उमर ने कहा, ‘‘एक बात तो तय है. यथास्थिति कायम रखना इसका समाधान नहीं है. यदि भारत लगातार यही कहता रहे कि पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर के हिस्से को खाली कराना ही होगा और तब तक इसका कोई हल नहीं निकलेगा तथा पाकिस्तान इस बात पर जोर देता रहे कि जम्मू कश्मीर 1947 के बंटवारे का एक अधूरा एजेंडा है ,तो वे कहीं नहीं पहुंचने वाले.’’

नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (45) ने कहा, ‘‘किसी भी हल को अमल में लाने के लिए सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना होगा कि दोनों ही देशों में भविष्य में किसी भी क्षेत्र का हस्तांतरण नहीं होगा. इसका मतलब है कि आपको नियंत्रण रेखा को मानना होगा और इसे (अंतरराष्ट्रीय) सीमा के तौर पर स्वीकार करना होगा.’’

जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट ग्रुप इंडिया डायलॉग की ओर से आयोजित ‘द कश्मीर कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए उमर ने कहा कि दोनों देशों के लिए उनके समाधान को मानना मुश्किल होगा क्योंकि दोनों राजधानियों में ऐसे निहित स्वार्थी तत्व हैं जो कश्मीर समस्या को एक समस्या के तौर पर बनाए रखना चाहते हैं.

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