84 के दंगों के दोषी को अदालत ने किया जमानत देने से इंकार

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे तीन दोषियों में से एक की जमानत अर्जी को आज खारिज कर दिया.न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश आशुतोष कुमार की पीठ ने दिल्ली छावनी के राज नगर इलाके में 1 नवंबर 1984 को एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2015 8:02 PM

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे तीन दोषियों में से एक की जमानत अर्जी को आज खारिज कर दिया.न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश आशुतोष कुमार की पीठ ने दिल्ली छावनी के राज नगर इलाके में 1 नवंबर 1984 को एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या से संबंधित मामले में दोषी गिरधारी लाल को जमानत से इंकार कर दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद भडके इन दंगों में गिरधारी लाल को दो अन्य के साथ दोषी ठहराया गया था.

पीठ ने कहा, ‘‘हमें यहां पांच लोगों की मौत से संबंधित अपीलों से निपटना है इसलिए हमें सबूत का गहन अध्ययन करने की जरुरत है. इस समय हम जमानत नहीं दे सकते.’’ अदालत ने गिरधारी लाल और पूर्व पार्षद तथा पिछले वर्ष मई में निचली अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाले बलवान खोखर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.

अदालत ने खोखर की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की. इससे पूर्व उसके वकील ने अदालत को सूचित किया था कि उसका मुवक्किल रविवार 12 अप्रैल को जेल में गिर गया था जिससे उसका हाथ टूट गया.

पीठ ने कहा, ‘‘ तिहाड जेल के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वह इस घटना के बारे में रिपोर्ट दाखिल करें कि बतायी गयी तारीख में ऐसी कोई घटना हुई है या नहीं. वह मेडिकल रिपोर्ट भी देंगे.’’ निचली अदालत ने इस मामले में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया था लेकिन सेवानिवृत्त नौसैन्य अधिकारी कैप्टन भागमल , बलवान खोखर और गिरधारी लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.

अदालत ने दो अन्य दोषियों पूर्व विधायक महेन्द्र यादव तथा किशन खोखर को भी तीन साल जेल की सजा सुनायी थी. दोषियों ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी अपीलें दाखिल की थीं जबकि सीबीआई ने भी तीनों को यह कहते हुए मौत की सजा दिए जाने की मांग की थी कि वे ‘‘योजनाबद्ध सांप्रदायिक दंगे ’’ और ‘‘धार्मिक सफाए’’ में शामिल थे.

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