आतंकवादी हाफिज सईद से जुडा है अलगाववादी मसरत आलम का लिंक, कश्मीर को बनाना चाहता है वह पाकिस्तान
श्रीनगर : अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी व मसरत आलम ने जम्मू कश्मीर के त्रल में आज एक रैली बुलायी थी. इस पर राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार ने रोक लगा दी है. साथ ही गिलानी, मसरत सहित पांच अन्य अलगाववादी नेताओं को उनके घरों में कल शाम नजरबंद कर दिया. मसरत की […]
श्रीनगर : अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी व मसरत आलम ने जम्मू कश्मीर के त्रल में आज एक रैली बुलायी थी. इस पर राज्य की मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार ने रोक लगा दी है. साथ ही गिलानी, मसरत सहित पांच अन्य अलगाववादी नेताओं को उनके घरों में कल शाम नजरबंद कर दिया. मसरत की तो आज सुबह गिरफ्तारी भी हो गयी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह का इस मुद्दे पर कडा रुख है.
इससे पहले बुधवार को मसरत आलम ने व उसके साथियों ने प्रदर्शन करते हुए मेरी जान पाकिस्तान के नारे लगाये थे और उसके झंडे लहराये थे. उसने व उसके लोगों ने गिलानी साहब का क्या अरमान कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा भी लगाया है. घाटी में पत्थरबाजी करवा कर निदरेष लोगों की जान लेने का आरोपी मसरत अली लगातार भारत विरोधी बयान दे रहा है. वह कहता है कि वह इंडियन नहीं है और जम्मू कश्मीर रियासत इंडिया का हिस्सा भी नहीं है. उसके इस बयान पर न सिर्फ देश के अन्य हिस्सों में, बल्कि घाटी में भी तीखा विरोध हो रहा है.
मसरत आलम का हाफिज सईद लिंक
मसरल आलम के संबंध और संपर्क दुनिया भर में खूंखार आतंकी के रूप में चिहिनत पाकिस्तान के हाफिज सईद से भी हैं. हाफिज मुंबई में हुए आतंकी हमले का मुख्य षडयंत्रकर्ता है. खुफिया सूत्रों के अनुसार, वह उसके इशारे पर काम करता है और जहर उगलता है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि जिस दिन वह पाकिस्तान मेरी जान को नारे लगा रहा था, उस दिन उसके पास सात फोन कॉल आये थे, जिसमें से एक फोन कॉल हाफिज सईद का भी था.मसरत आलम अपने आका हाफिज सईद को खुश करने के लिए भी इस तरह की हरकतें करता है.
त्रालही प्रदर्शन का केंद्र क्यों?
मसरल आलम ने जन भावनाओं को भडकाने के लिए त्रल को ताजा केंद्र बना लिया है. त्राल पुलवामा जिले का 19 हजार आबादी का एक छोटा सा कस्बा है जो 500 साल पहले तीनमोती जैसे संबोधन से भी जाना जाता था. यहां इरान से सूफी धर्मगुरु हजरत अमीर कबीर धर्म प्रचार के लिए अपने 70 शिष्यों के साथ आये थे.
यहां के जंगल में इसी 13 अप्रैल को एक युवक की पुलिस इनकाउंटर में मौत हो गयी थी. मृतक का नाम खालिद मुजफ्फर था.
वह हिजबुल कमांडर का भाई था.इस इनकाउंटर की राज्य की सत्ताधारी पार्टी पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी आलोचना की. महबूबा ने कहा था कि सुरक्षा बलों को संयम से काम लेना चाहिए और ऐसे इनकाउंटर से अलगाववादी भावना को बल मिलेगा. अलगाववादियों के कार्यक्रम के अनुसार, इस रैली को श्रीनगर से कश्मीर तक ले जाना था, जिसमें बडी संख्या में लोगों को जुटाना उद्देश्य था.
कश्मीरी पंडितों का टाउनशिप का मुद्दा
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद दिल्ली पहुंचे थे. इस मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह का बयान आया कि जम्मू कश्मीर सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास व अलग टाउनशिप के लिए जमीन देने को तैयार हो गयी है. पर, बाद में अलगाववादियों के दबाव में सईद की ओर से इसका खंडन कर दिया गया. अलगाववादी किसी हाल में नहीं चाहते हैं कश्मीरी पंडितों के लिए वहां टाउनशिप बने.
हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी का इस मुद्दे पर बयान आया कि कश्मीरी पंडित हमारे भाई, बहन व मां हैं. भारत सरकार उनके अलग टाउनशिप के लिए प्रति परिवार 20 लाख रुपये देने की बात कह रही है, मैं कहता हूं कि उन्हें 30 लाख रुपये दीजिए, लेकिन उनके लिए अलग से कॉलिनी नहीं बनाइए. उन्हें वापस कराइए और उनका अपने गांव में ही पुनर्वास कराइए, हमारा हृदय उनके लिए खुला है. अली शाह गिलानी ने यह भी कहा कि दरअसल, आरएसएस कश्मीर की संस्कृति को बदलना चाहती है और हमल सेमिनार कर लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे. दरअसल, अलगवावादियों के नये तेवर के पीछे कश्मीरी पंडितों का टाउनशिप भी एक अहम कारण है और यह बात भी सब जानते हैं, जैसा कि उनका शिष्य मसरत भी कह रहा है कि कश्मीर पाकिस्तान या अलग राष्ट्र बने. गिलानी ने अपने हालिया संबोधन में अपने अलगाववादी सोच को स्वतंत्रता आंदोलन का नाम दिया, जिसे कश्मीर की बहुसंख्यक जनता भी उचित नहीं मानती.