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किसान ने मोटर खरीदने के लिए बच्चों को तीस हजार रुपये में गिरवी रखा

हरदा (मप्र) : खरगौन जिले के मोहनपुरा गांव के एक आदिवासी किसान ने अपने खेत में सिंचाई के लिए बोरिंग पर पंप लगाने हेतु अपने दो बेटों को तीस हजार रुपये में भेड चराने वाले राजस्थानी गडरिए के पास गिरवी रख दिया. मामला उस समय सामने आया जब बच्चों में 47 किलोमीटर पैदल चल कर […]

हरदा (मप्र) : खरगौन जिले के मोहनपुरा गांव के एक आदिवासी किसान ने अपने खेत में सिंचाई के लिए बोरिंग पर पंप लगाने हेतु अपने दो बेटों को तीस हजार रुपये में भेड चराने वाले राजस्थानी गडरिए के पास गिरवी रख दिया. मामला उस समय सामने आया जब बच्चों में 47 किलोमीटर पैदल चल कर खुद को गडरिए के चंगुल से मुक्त कराया.

हरदा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मयंक जैन एवं थाना प्रभारी उमाशंकर तिवारी ने बताया कि पुलिस ने शून्य पर प्रकरण कायम कर लिया है और इसे खरगौन पुलिस को जांच के लिए भेजा जाएगा. पुलिस ने दोनो बच्चों बैजू (11) एवं टीसू (13) को यहां बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें फिलहाल चाइल्ड लाइन में अगली सुनवाई तक रखा गया है.

उन्‍होंने कहा कि पुलिस ने एक आरोपी गडरिया भूरा को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दूसरा हेमला गडरिया इस समय राजस्थान में होने की वजह से पकड से बाहर है. उसकी तलाश के लिए पुलिस टीम गठित की जा रही है. यह प्रकरण भादंवि की धारा 370 (क) एवं 374 के तहत दर्ज किया गया है. साथ ही इसमें बाल श्रम कानून के उल्लंघन की भी धाराएं शामिल की गई हैं.
सीडब्लूसी अध्यक्ष वेद बिश्नोई ने बताया कि बच्चों के पिता आदिवासी लाल सिंह बलेला एवं मां मनीबाई ने अपने बयान में बताया है कि उन्होंने खेत में पंप लगाने के लिए बैजू एवं टीसू को एक साल के लिए हेमला गडरिया के पास पन्द्रह-पन्द्रह हजार रुपये कुल तीस हजार रुपये में गिरवी रखा था, जिसने इन्हें बाद में भूरा गडरिया को बेच दिया.
थाना प्रभारी तिवारी ने बताया कि भूरा को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि हेमला की तलाश की जा रही है. मामला खरगौन पुलिस को स्थानांतरित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि दोनों बच्चे गडरिया के पडोसी होशंगाबाद जिले में सिवनी मालवा के बनापुरा में लगे डेरे से भागकर लगभग 47 किलोमीटर चले और हरदा रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां साबिर खान नामक व्यक्ति ने उन्हें संदिग्ध पाकर पुलिस को सूचना दी. गौरतलब है कि राजस्थान में गर्मियों के मौसम में चारा सूखने की वजह से वहां के भेडपालक अपनी भेडों के लिए चारे की तलाश में हर साल सीमावर्ती मध्यप्रदेश का रुख करते हैं.

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