भटकल के कई चेहरे, कई पहचान

।।रजनीश उपाध्याय।। पटनाः सैयद अहमद जरार सिद्दी बाबा उर्फ यासीन भटकल के जीवन की कहानी किसी जासूसी उपन्यास की कथा से कम नहीं है. 30-32 साल के इस नौजवान के कई चेहरे रहे हैं. अलग-अलग इलाकों व समूहों के बीच अलग-अलग पहचान बनायी. इंडियन मुजाहिदीन के लोगों के बीच वह एक नाम से जाना जाता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2013 7:09 AM

।।रजनीश उपाध्याय।।

पटनाः सैयद अहमद जरार सिद्दी बाबा उर्फ यासीन भटकल के जीवन की कहानी किसी जासूसी उपन्यास की कथा से कम नहीं है. 30-32 साल के इस नौजवान के कई चेहरे रहे हैं. अलग-अलग इलाकों व समूहों के बीच अलग-अलग पहचान बनायी. इंडियन मुजाहिदीन के लोगों के बीच वह एक नाम से जाना जाता था, तो अपने निकट संबंधियों के बीच उसका चेहरा व पहचान कुछ और थी. अपनी पहचान को गोपनीय बनाये रखने के लिए वह इतना सचेत रहता था कि लंबे समय तक कभी एक ठिकाने पर नहीं रहा.

ससुराल के लोग, यहां तक कि उसकी पत्नी जाहिदा और सास साजिदा उसे इमरान नाम से जानती थीं. यासीन मूल रूप से उत्तरी कर्नाटक के उड्डपी जिले के भटकल गांव का रहने वाला है. उसकी शादी 20 अप्रैल, 2011 को दिल्ली में इरशाद खान की बेटी जुबैदा से हुई थी. इरशाद मूल रूप से समस्तीपुर जिले के ताजपुर का रहने वाला है. लेकिन, उसका परिवार नयी दिल्ली में बस गया था. दस बच्चों के पिता इरशाद ने दिल्ली आने के बाद कई तरह के कारोबार किये. सबसे पहले उसने ओखला में साड़ी में जरी लगाने का काम शुरू किया.

उसका परिवार शाहीनबाग में रहता था. इसी मोहल्ले में रहते हुए 2008 में यासीन भटकल की जान-पहचान इरशाद खान से हुई. कुछ दिनों के बाद इरशाद ने नयी दिल्ली के नांगलोई इलाके के मीर विहार में लेथ मशीन स्थापित की.

जनवरी, 2012 में एक निजी टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में साजिदा (यासीन की सास) ने यासीन के साथ अपनी बेटी की शादी की कहानी बतायी थी. उसके मुताबिक, एक दिन उसके शौहर (इमरान) एक नौजवान को साथ लेकर आये और बताया कि ये लखनऊ के रहने वाले इमरान हैं. पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं और धार्मिक व्यक्ति हैं. परिवार की सहमति से इमरान व जुबैदा की शादी हुई. तब जुबैदा दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में बीए की छात्र थी. साजिदा के मुताबिक, इमरान न तो कभी किसी को घर लेकर आता था और न ही कभी उसने कोई ऐसी हरकत की, जिससे शक-शुबहा हो. जब कभी वह बाहर भी जाता था, तो यह बताता था कि जरूरी काम है.

उसकी पत्नी व सास को इमरान व इरशाद के आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का पता तब चला, जब 30 नवंबर, 2011 की रात इरशाद खान को लेकर सादी वरदी में दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम उसके घर पहुंची. इसके दो दिन पहले इरशाद को चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था. उसी समय खुलासा हुआ कि इरशाद के मीर विहार इलाके के लेथ मशीन में हथियार बनाये जाते थे. इसका केयर टेकर असदुल्ला रहमान उर्फ दिलकश था. चेन्नई में जिस ठिकाने से इरशाद को गिरफ्तार किया गया था, वहां यासीन भी था, लेकिन वह भाग निकला. कई विस्फोटों का आरोपित इरशाद अब भी जेल में है और उसका परिवार शाहीनबाग इलाके की एक तंग गली के मकान में रहता है. शादी के आठ माह बाद ही यासीन यहां से चला गया. फिर वह कभी नहीं लौटा.

आइबी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यासीन भटकल अपने काम-काज, जीवन शैली और शातिर दिमाग के कारण अन्य आतंकियों से बिल्कुल अलग है. यही कारण है कि उसका सही-सही लोकेशन का पता लगा पाना मुश्किल होता था. वह शहरों के बजाये सुदूर गांव को अपना ठिकाना बनाता रहा है. दरभंगा के बाढ़ समैला गांव में वह लंबे समय तक आकर रहा. यहां वह खुद को यूनानी चिकित्सक के रूप में पेश करता था. इंडियन मुजाहिदीन के लोगों के बीच उसकी पहचान एक इंजीनियर की थी. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि यासीन इंजीनियर नहीं रहा है.

इसकी पुष्टि भटकल के परिवार की ओर से 29 अगस्त 2013 को जारी बयान से भी होती है. इस बयान के मुताबिक, यासीन दसवीं में फेल होने के बाद नवंबर, 2005 में दुबई चला गया था. खुद को कभी यूनानी चिकित्सक, तो कभी मैकेनेकिल इंजीनियर बताने के पीछे उसका मकसद पढ़े-लिखे और आर्थिक हैसियत वाले नौजवानों को इंडियन मुजाहिदीन से जोड़ना भी रहा था. इस मकसद में वह कुछ हद तक कामयाब भी रहा. उसकी तकरीर इतनी शानदार होती है कि पढ़े-लिखे युवक आकर्षित हो जाते थे.

-जासूसी उपन्यास की कथा से कम नहीं है यासीन की कहानी

-आतंक का भटकल मॉडय़ूल

-मोबाइल का उपयोग कुछ सेकेंड के लिए, फिर सिम हटा देता था

-सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कभी ई-मेल का उपयोग नहीं किया

-कुछ सप्ताह के बाद पता-ठिकाना बदलता रहा

-शहर से दूर-दराज वाले गांवों में पनाहगाह मोटरसाइकिल बम बनाने में माहिर

-कई भाषाओं का जानकार, तकरीर में माहिर

* भटकल 12 दिन की पुलिस रिमांड पर

* पूछताछ में भटकल ने खुद की पहचान उजागर की

*कई बम विस्फोट मामलों में वांछित है भटकल

*शिकंजे में सरगना

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