Manipur Violence : मणिपुर हिंसा मामले को ध्यान में रखते हुए राज्य में सेना को बहाल किया गया है. राज्य में शांति व्यवस्था कायम रखते और सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह कदम उठाया गया है. लेकिन, अब राज्य के करीब 40 विधायकों ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए सेना को हटाया जाना जरूरी है. बता दें कि मणिपुर के कई इलाकों में अभी भी भय का माहौल है और कुछ जगहों से हिंसा की खबरें आ रही है.
अधिकतर विधायक मैतेई समुदाय से
पत्र लिखने वाले विधायकों में से अधिकतर विधायक मैतेई समुदाय से हैं. उन्होंने कुकी उग्रवादी समूहों के साथ किए गए ‘अभियान निलंबन’ (एसओओ) समझौते को वापस लेने, राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लागू करने और स्वायत्त जिला परिषदों (एडीसी) को मजबूत बनाए जाने की भी मांग की. ज्ञापन में इन विधायकों ने कुकी समूहों की ‘अलग प्रशासन’ की मांग का विरोध किया.
”सुरक्षा के लिए महज सुरक्षा बलों की तैनाती काफी नहीं”
प्रधानमंत्री मोदी को बुधवार को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘सुरक्षा के लिए महज सुरक्षा बलों की तैनाती काफी नहीं है. हालांकि राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में हिंसा को रोकना जरूरी है, लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सैन्य उपस्थिति को पूर्ण रूप से खत्म करना अहम है. पूरे राज्य में शांति और सुरक्षा के माहौल को बढ़ावा देने के लिए सेना को हटाया जाना जरूरी है.’’
”छीने गए शस्त्रों को जब्त करने की जरूरत”
ज्ञापन के अनुसार, ‘‘विद्रोही समूहों और अवैध सशस्त्र विदेशी बलों के हथियारों और सरकारी मशीनरी से छीने गए शस्त्रों को जब्त करने की जरूरत है. इस संबंध में, केंद्रीय सुरक्षा बलों को क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है.’’ ज्ञापन में कहा गया है कि ऐसी कई घटनाएं हैं जब किसान अपने खेतों में काम करने के लिए बाहर गए और उन पर उग्रवादियों ने गोलीबारी की.
ज्ञापन में दावा किया गया, ‘‘कई मामलों में गोलीबारी की ये घटनाएं केंद्रीय सुरक्षा बलों की उपस्थिति में हुईं जो माकूल जवाब देने में विफल रहे हैं.’’ इसमें मांग की गई है कि असम राइफल्स (9, 22 और 37) को उनके वर्तमान तैनाती स्थान से स्थानांतरित करने की आवश्यकता है और राज्य सुरक्षा बल के साथ-साथ ‘‘भरोसेमंद केंद्रीय सुरक्षा बल’’ शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता के वास्ते सभी खतरों को ‘‘निष्प्रभावी और नष्ट’’ करने के लिए उनकी जगह ले सकते हैं.
SOO समझौते वापस लेने की मांग
विधायकों ने इस ज्ञापन में उन सभी कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ SOO समझौते वापस लेने की मांग की है जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है. ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘राज्य में हथियारों और गोला-बारूद के साथ बड़े पैमाने पर विदेशी घुसपैठ हुई है. इसलिए केंद्रीय सुरक्षा बलों को सक्रिय रूप से उनके साथ जुड़ना चाहिए. राज्य में पिछले तीन महीने से राज्य/केंद्रीय बलों और इन विद्रोही सशस्त्र समूहों के बीच लगातार संघर्ष जारी है.’’
एनआरसी लागू करने की भी मांग
विधायकों ने राज्य में नागरिक सुरक्षा पंजी (एनआरसी) लागू करने की भी मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘यह संकट हल करने के लिए इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से सुलझाना चाहिए. ऐसे कई विकल्प हैं जिन्हें खोजा जा सकता है. मणिपुर के जातीय लोगों को आश्वस्त करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को राज्य में जल्द से जल्द लागू किया जा सकता है. अप्रवासियों का बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू हो गया है, इसे विस्तारित और मजबूत बनाया जाना चाहिए.’’
कुकी समूहों की ‘अलग प्रशासन’ की मांग
विधायकों ने कहा कि कुकी समूहों की ‘अलग प्रशासन’ की मांग किसी भी परिस्थिति में पूर्णत: अस्वीकार्य है. पूर्व में राज्य से विभिन्न दलों के दस कुकी विधायकों ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर कुकी बहुल इलाकों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की थी. राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मैतेई समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं.