नयी दिल्ली: असंतुष्ट आप नेता योगेंद्र यादव ने आज पार्टी नेतृत्व पर पलटवार किया और उस पर संविधान का गंभीर उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया था तब पार्टी की किसी इकाई से संपर्क नहीं किया गया था.
पार्टी की राष्ट्रीय अनुशासन समिति (एनडीसी) से मिले कारण बताओ नोटिस पर अपने जवाब में यादव ने इस पैनल के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि चूंकि 29 मार्च को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एनई) की बैठक ही अवैध थी, तो ऐसे में उस बैठक में लिए गए निर्णय भी अवैध हैं.
उन्होंने कहा,‘‘निर्णय लेने वाले प्रासंगिक निकायों को अनदेखी कर बडे राजनीतिक फैसले किए गए. फरवरी, 2014 में दिल्ली सरकार से इस्तीफे, लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी एवं अमेठी निर्वाचन क्षेत्रों में धन खर्च करने और उम्मीदवारों को धन आवंटन जैसे बडे निर्णयों में भी किसी समिति से संपर्क तक नहीं किया गया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश इकाइयों को विधानसभा चुनाव के बारे में निर्णय लेने का अनुमति देने के पक्ष में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बहुमत (15 पक्ष और चार विपक्ष में) से किया गया फैसला लागू नहीं किया गया और उसे अगली ही बैठक में पलट दिया गया. मुख्यमंत्री के धरने पर बैठने के पीएसी के फैसले को मुख्यमंत्री ने खुद ही एकतरफा ढंग से पलट दिया. ’’
यादव ने कहा, ‘‘इस साल दिल्ली (विधानसभा) चुनाव में उम्मीदवारों का चयन पर्याप्त ढंग से पीएसी को शामिल किए बगैर और यहां तक कि उसे बिना बताए किया गया.’’ उन्होंने कहा कि इससे पार्टी में अघोषित आपातकाल की स्थिति पैदा हो गयी. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के नेता (केजरीवाल) और उनकी मंडली ने पार्टी संविधान की भावना का बार बार घोर उल्लंघन किया. उन्होंने पार्टी के अंदर से उस व्यक्ति, मंच और संस्थान को व्यवस्थित ढंग से बाहर निकाल दिया जहां इन कृत्यों पर सवाल उठाया जा सकता था और उनका निदान ढूढा जा सकता था. अतएव मैं शिकायत, जो आपने भेजी है, में स्वराज एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया के उल्लेख पर बस हंस सकता हूं. इन घोर उल्लंघनों में कुछ तो ऐसे हैं जिनसे पार्टी में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वाकई, जब पार्टी का नेतृत्व पार्टी के संविधान की भावना का घोर उल्लंघन करता है तो फिर उसके इशारे पर नाचना पार्टी विरोधी गतिविधि है. इस स्थिति से पार्टी को बचाना अनुशासनहीनता नहीं बल्कि यह हर पार्टी कार्यकर्ता का दायित्व है. ’’ पार्टी ने भी बागी नेताओं को नहीं बख्शा. एक पार्टी नेता ने कहा, ‘‘अनुशासन समिति के पास जवाब पहुंचने से पहले वह सभी चैनलों के पास पहुंच गया, यही पार्टी और पार्टी संगठनों के प्रति उनकी कटिबद्धता एवं सम्मान है. मैं एक बार फिर कहता हूं कि वाई वाई (योगेंद्र यादव). पी बी (प्रशांत भूषण) नूराकुश्ती और मीडिया लीक में माहिर हैं. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे संगठनों के सम्मान की बात करते हैं. वे पीएसी, एनई और एनसी का असम्मान करेंगे क्योंकि इन संगठनों ने उनके पक्ष में निर्णय लिया है. अब एनडीसी के प्रति असम्मान दिखा रहे हैं.’’यादव ने एनडीसी को पार्टी लाइन के अनुसार नहीं चलने पर केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती दी.
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपकी समिति इसे अनुशानहीनता मानती है तो उन अन्य करीब दर्जन भर मामलों का क्या जहां राष्ट्रीय संयोजक समेत अन्य नेताओं ने निर्धारित नीति से हटकर पार्टी के रुख के बारे में मीडिया में बयान दिया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली से बाहर पार्टी के प्रसार के बारे में मेरे द्वारा चर्चा करना अनुशासनहीनता है तो आपकी समिति उसे क्या कहेगी जब राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान घोषणा की थी कि पार्टी दिल्ली में सीमित रहेगी. क्या उस घोषणा के लिए किसी समिति से मंजूरी ली गयी थी? क्या आप उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे?’’ यादव ने केजरीवाल पर चिकित्सा अवकाश पर बेंगलूर में रहने के बाद भी उनके और प्रशांत भूषण के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान पर व्यक्तिगत तौर पर नजर रखने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने उन विधायकों को फोन किया और संदेश भेजा जो इस याचिका पर हस्ताक्षर करने के पक्ष में नहीं थे. क्या आपकी समिति इस घटिया प्रकरण की जांच करेगी? ’’ प्रशांत भूषण की तरह ही उन्होंने अनुशासन समिति में आशीष खेतान एवं पंकज गुप्ता की उपस्थिति पर सवाल खडा करते हुए कहा, ‘‘क्या यह घोटाला नहीं हैं कि जो लोग शिकायतकर्ता हैं, गवाह हैं और संबंधित पक्ष हैं, वे ही मामले का फैसला करेंगे?’’
राष्ट्रीय परिषद की बैठक का गलत ब्योरा देने के पार्टी के आरोप पर यादव ने चुनौती दी, ‘‘ राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो कुछ हुआ है उसे लेकर यदि आपको या किसी अन्य को संदेह है तो आप दोनों कैमरों के गैर संपादित वीडियो टेप सार्वजनिक करने का आदेश क्यों नहीं देते? ’’
असंतोष को दबाने के पार्टी के कदम को स्टालिनवादी कृत्य बताने के अपने बयान का भी उन्होंने बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘‘मनमाने फैसले , निष्कासन, बदले की कार्रवाई, चरित्र हनन, दुष्प्रचार और फिर इन सारे कृत्यों को सही ठहराने के लिए भावनात्मक नौटंकी- ये सारी बातें स्टालिन के शासन की सच्चाई है. मैंने हमेशा कहा है कि एक अंतर है- यहां निर्वासन (कालापानी) के लिए साईबेरिया नहीं है.’’