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प्रशांत, योगेंद्र समेत पार्टी के चार बागी नेताओं को किया गया बाहर

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार रात चार बड़े बागी नेताओं को निकाल दिया है. पार्टी ने कडा कदम उठाते हुए प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और दो अन्य को पार्टी विरोधी गतिविधियों तथा ‘‘घोर अनुशासनहीनता’’ के आरोप लगाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए योगेंद्र […]

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार रात चार बड़े बागी नेताओं को निकाल दिया है. पार्टी ने कडा कदम उठाते हुए प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और दो अन्य को पार्टी विरोधी गतिविधियों तथा ‘‘घोर अनुशासनहीनता’’ के आरोप लगाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि हमें 28 मार्च को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का प्लान बना लिया गया था. खैर पार्टी के साथ काम करके अच्छा लगा. मुझे उम्मीद है कि लोग जनता से किये वादों का निभायेंगे.

इन नेताओं को दो दिन पहले पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इन नेताओं को पार्टी से निकाले जाने का फैसला राष्ट्रीय अनुशासन समिति ने लिया जिसने कहा कि वह कारण बताओ नोटिस के लिए मिले जवाब से संतुष्ट नहीं है. पार्टी प्रवक्ता दीपक बाजपेयी ने बताया, ‘‘ पार्टी की राष्ट्रीय अनुशासन समिति ने प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव , आनंद कुमार तथा अजित झा को निकालने का फैसला किया है. उन्हें घोर अनुशासनहीनता, पार्टी विरोधी गतिविधियों और पार्टी की आचार संहिता के उल्लंघन करने के कारण निष्कासित किया गया है.’’ बागी नेताओं को ‘‘स्वराज संवाद’’ आयोजित करने का कारण बताने के लिए 17 अप्रैल को नोटिस जारी किया गया था. भूषण पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को हराने के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था. उन पर पार्टी से अलग हुए धडे ‘अवाम’ का समर्थन करने का भी आरोप लगाया गया.

झा को छोडकर तीनों ने नोटिस का जवाब दिया था. नोटिस के अपने जवाब में बागियों ने आज पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर पार्टी के संविधान का ‘‘घोर उल्लंघन’’ करने का आरोप लगाया और इसकी अनुशासन समिति के दो सदस्यों पर कथित रुप से ‘‘प्रायोजित’’ स्टोरी करवाने और संदिग्ध कंपनियों से चंदा स्वीकार करने के लिए हमला बोला. आप की राष्ट्रीय अनुशासन समिति द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिसों के जवाब में भूषण और यादव ने जवाब मांगने के लिए समिति के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल खडे किए और कहा कि 28 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की ‘‘अवैध’’ और ‘‘असंवैधानिक’’ बैठक के बाद इसका गठन किया गया था.

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