लोगों ने बताया राहुल का भाषण अच्छा था: सोनिया
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज बजट सत्र के दौरान राहुल गांधी की ओर से दिये पहले भाषण के बारे में कहा, ‘‘मुझे लोगों की ओर से बताया गया कि वह अच्छा था.’’ राहुल ने अपने इस भाषण में किसानों के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला. इस सवाल पर […]
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज बजट सत्र के दौरान राहुल गांधी की ओर से दिये पहले भाषण के बारे में कहा, ‘‘मुझे लोगों की ओर से बताया गया कि वह अच्छा था.’’ राहुल ने अपने इस भाषण में किसानों के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला.
इस सवाल पर कि राहुल गांधी का लोकसभा में भाषण कैसा था, उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राहुल का पूरा भाषण नहीं सुना क्योंकि मैं अपने आवास पर पार्टी नेताओं और किसानों से मुलाकात करने में व्यस्त थी लेकिन लोगों ने मुझे बताया कि वह अच्छा था.’’ संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि राहुल की करीब दो महीने की छुट्टी के बाद वापसी पर उनके क्या विचार हैं, सोनिया ने कहा, ‘‘अच्छा है.’’
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद के बजट सत्र के अपने पहले भाषण में कहा कि किसानों और श्रमिकों की समस्याओं पर सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे सकती. राहुल के लोकसभा में भाषण के दौरान सोनिया गांधी नहीं थीं. उस समय सदन में पार्टी के उप नेता अमरिंदर सिंह और कमल नाथ सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद नहीं थे.
कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सी वेणुगोपाल ने यद्यपि कहा कि सदस्यों को कोई व्हिप जारी नहीं किया गया था और यह दोपहर में ही पता चला कि राहुल बोलेंगे.पार्टी सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि राहुल बजट सत्र के बाकी बचे संक्षिप्त हिस्से का इस्तेमाल करेंगे और इस दौरान वह पहले की तुलना में अधिक हस्तक्षेप करते दिख सकते हैं. सोनिया ने राहुल गांधी सहित पार्टी के सभी सांसदों के साथ विचार.विमर्श करने के बाद कहा कि पार्टी किसानों के मुद्दों को उठाती रहेगी.
सोनिया ने राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के पार्टी नेताओं के साथ ही किसानों से भी मुलाकात की. इससे एक दिन पहले कांग्रेस ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ किसानों की एक रैली में सरकार पर हमला बोला था.
कांग्रेस ने इसके साथ इसके स्पष्ट संकेत दिये कि वह उम्मीद करती है कि सरकार इसे संसद की स्थायी समिति को भेजेगी. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खडगे ने कहा, ‘‘जब भी विधेयक नये स्वरुप में आता है हम चाहते हैं कि उन विधेयकों को स्थायी समिति को भेज दिया जाए.’’
पूर्व श्रम मंत्री ने पूर्व का एक उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा ने एक विधेयक को तब स्थायी समिति को भिजवाया था जब संप्रग सरकार कानून के शीर्षक में परिवर्तन करने के लिए पूर्ववर्ती विधेयक में एक छोटा संशोधन कर रही थी. सरकार उसे लिंग तटस्थ बनाने के लिए उसमें ‘‘कामगारों’’ की जगह ‘‘श्रमिकों’’ शब्द कर रही थी.खडगे ने कहा, ‘‘और जब आप नये प्रावधानों के साथ एक नया विधेयक ला रहे हैं, यदि आपकी लोकतंत्र में आस्था है तो क्या आपको उसे स्थायी समिति को नहीं भेजना चाहिए? वे बाध्य कर रहे है. यह कोई तरीका नहीं है.’’