दिलचस्प शख्स और शानदार इंसान थे किसान गजेंद्र

नांगल झामरवाड़ा : नयी दिल्ली में आयोजित आम आदमी पार्टी की रैली में बुधवार को जिस गजेंद्र सिंह ने आत्महत्या की है वह दरअसल सिर्फ एक किसान नहीं बल्कि एक समृद्ध व्यवसायी भी थे. गजेंद्र सिंह राजस्थानी पगड़ी और साफा बनाने और पहनाने का व्यवसाय करते थे. वह शादी, विवाह, फिल्म शूटिंग आदि के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2015 12:09 PM

नांगल झामरवाड़ा : नयी दिल्ली में आयोजित आम आदमी पार्टी की रैली में बुधवार को जिस गजेंद्र सिंह ने आत्महत्या की है वह दरअसल सिर्फ एक किसान नहीं बल्कि एक समृद्ध व्यवसायी भी थे. गजेंद्र सिंह राजस्थानी पगड़ी और साफा बनाने और पहनाने का व्यवसाय करते थे. वह शादी, विवाह, फिल्म शूटिंग आदि के लिए साफे पहनाने का का भी काम किया करते थे. गजेंद्र सिंह ने राजनाथ सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अमर सिंह, शाहनवाज हुसैन जैसे कई नेताओं सहित क्रिकेटर आशीष नेहरा को भी पगड़ी पहनाई है.

आत्महत्या के पहले लिखे अपने सुसाइड नोट में मृतक किसान ने लिखा है कि दोस्तों मैं किसान का बेटा हूं, मुझे मेरे पिताजी ने घर से निकाल दिया है क्योंकि मेरी फसल बर्बाद हो गई है मेरे पास 3 बच्चे है. दोस्तों, मैं राजस्थान के दौसा जिले के एक गांव से हूं. मुझे घर जाने का उपाय बताएं. अंतिम पंक्ति में उन्होंने जय जवान, जय किसान, जय राजस्थान लिखा है.

गजेंद्र सिंह के आत्महत्या करने की खबर के सुनने के बाद राजस्थान के साथ-साथ पूरा देश शोक में डूब गया. एक प्रसिद्ध दैनिक में छपी खबर के मुताबिक तीन दिन पहले परिजनों से वह जयपुर निवासी अपनी बहन के पास जाने के लिए घर से निकला था. उसके मन में क्या था किसी को अंदेशा नहीं था. मृतक के एक दोस्त के मुताबिक गजेन्द्र बड़ा दिलेर था, वह ऐसा कदम नहीं उठा सकता. यदि उठाया है तो उसके दिल में किसानों की बर्बादी को लेकर छिपा दर्द इसकी वजह है.

राजस्थान के एक अन्य प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक के मुताबिक साफा बांधने के हुनर के लिए गजेंद्र सिंह को राष्ट्रीय सम्मान भी मिला था. एक मिनट में 7 पगड़ी बांधने का रिकार्ड भी उनके नाम था.

एक अन्य दैनिक में छपी खबर के मुताबिक गजेंद्र सिंह को राजनीति, मीडिया में छाए रहने और रैलियों में नेताओं को साफे बांधने को शौक रहा था. साथ ही 2003 में गजेंद्र ने सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय भी लिया था.

गजेंद्र सिंह की मौत ने देश में किसानों की दयनीय स्थिति की ओर सभी का ध्यान खींचा है. बेमौसम बारिश एवं सरकार की नीतियों की तरफ सभी का ध्यान दिलाने का प्रयास करते हुए गजेंद्र नेआत्महत्या का रास्ता चुना. जिसके बाद से देश भर में राजनीति तेज हो गई है और विभिन्न दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी हो चुका है.

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