भारत और जापान असैन्य परमाणु समझौते के लिए होगी वार्ता

नयी दिल्ली: करीब तीन साल के अंतराल के बाद भारत और जापान असैन्य परमाणु करार के लिए कल तोक्यो में दोनों देशों के अधिकारी चौथे दौर की वार्ता के लिए आपस में मिलेंगे.दोनों देशों के बीच परमाणु उर्जा वार्ता वर्ष 2010 में शुरु हुई थी लेकिन मार्च, 2011 में फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद थम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2013 6:14 PM

नयी दिल्ली: करीब तीन साल के अंतराल के बाद भारत और जापान असैन्य परमाणु करार के लिए कल तोक्यो में दोनों देशों के अधिकारी चौथे दौर की वार्ता के लिए आपस में मिलेंगे.दोनों देशों के बीच परमाणु उर्जा वार्ता वर्ष 2010 में शुरु हुई थी लेकिन मार्च, 2011 में फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद थम गयी. अंतिम दौर की वार्ता नवंबर, 2010 में हुई थी.चौथे दौर की यह वार्ता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके जापानी समकक्ष शिंजो अबे की भेंट के करीब तीन महीने बात हो रही हैं. तोक्यो में सिंह और शिंजो ने मई में भेंट के दौरान अपने अधिकारियों को परमाणु उर्जा शांतिपूर्ण उपयोग सहयोग समझौते पर वार्ता जल्द पूरा करने का निर्देश देने का फैसला किया था.

भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) गौतम बाम्ववाले करेंगे और उसमें संयुक्त सचिव (नि:शस्त्रीकरण) वेंकेटेश वर्मा और परमाणु उर्जा विभाग के अधिकारी होंगे.जापानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई विदेश मंत्रालय में दक्षिणपूर्व एवं दक्षिणपश्चिम एशियाई मामलों के विभाग के उप महानिदेशक और जापान भारत परमाणु उर्जा सहयोग समझौता के प्रभारी विशेष प्रतिनिधि मकिटा शिमोकावा करेंगे. प्रतिनिधिमंडल में संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी होंगे. मई में भेंट के दौरान सिंह और शिंजो ने दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग के महत्व पर जोर दिया था और कहा था कि परमाणु सुरक्षा दोनों सरकारों की प्राथमिकता है.

अहम बात यह है कि इस भेंट के बाद जारी संयुक्त बयान में एनपीटी पर हस्ताक्षर करने का कोई जिक्र नहीं है. जापान असैन्य परमाणु करार के लिए भारत द्वारा एनपीटी पर हस्ताक्षर को पूर्व शर्त बताता रहा था. भारत में उर्जा की बढ़ती मांग के संदर्भ में हिताची, तोशिबा, और मित्सूबिशी जैसी जापानी कंपनियां अपने परमाणु रियक्टरों एवं प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर भारतीय बाजार पर नजर लगायी है.

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