निजता के अधिकार का संरक्षण होना चाहिए: राष्ट्रपति
नयी दिल्ली : पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की भूमिका की सराहना करते हुए आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किसी नागरिक के ‘‘निजता के अल्लंघनीय अधिकार’’ के संरक्षण के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने की जरुरत पर जोर दिया. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सूचनाओं से लैस नागरिक तैयार […]
नयी दिल्ली : पारदर्शिता को बढ़ावा देने में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की भूमिका की सराहना करते हुए आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किसी नागरिक के ‘‘निजता के अल्लंघनीय अधिकार’’ के संरक्षण के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने की जरुरत पर जोर दिया.
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सूचनाओं से लैस नागरिक तैयार करने के लिए सरकार को हरसंभव कदम उठाने चाहिए क्योंकि लोकतंत्र के संचालन के लिए यह काफी अहम है. मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा, ‘‘पारदर्शिता एवं लोकतंत्र के प्रति हमारे उत्साह से कहीं ऐसा न हो कि हम एक क्षण के लिए भी इस तथ्य की अनदेखी कर बैठें कि इन सभी व्यवस्थाओं के केंद्र में मौजूद नागरिक भी एक व्यक्ति है जिसके निजता के कुछ अल्लंघनीय अधिकार हैं.’’
केंद्रीय सूचना आयोग के सालाना सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आरटीआई कानून में ऐसे प्रावधान हैं जो निजता के मुद्दों से जुड़े हुए हैं पर अब भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां और स्पष्ट होने की जरुरत है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सार्वजनिक और निजी के बीच बहुत ही कम फर्क है..शायद एक ऐसी व्यवस्था बनाने की जरुरत है जिससे किसी व्यक्ति की निजता के उल्लंघन की स्थिति में उसे कानूनी माध्यमों से अपने अधिकारों के संरक्षण का मौका मिले.’’ राष्ट्रपति ने आंकड़ों को रखने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के प्रभावी इस्तेमाल की जरुरत पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि आंकड़ा प्रबंधन व्यवस्था में सुधार और दस्तावेजों के कंप्यूटरीकरण से नागरिकों को अब अपने अनुरोधों की मौजूदा स्थिति का पता अपने आप ही लग जाएगा. राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में प्रशासन विश्वास से जुड़ा हुआ है. प्रशासन नागरिक और सरकार के बीच विश्वास की तरह है.