मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को वित्त वर्ष 2020-21 में मिले चंदे में इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 420 करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आयी है, जो 41.49 प्रतिशत है. चुनावों से संबंधित विश्लेषण करने वाले समूह एडीआर ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. वित्त वर्ष 2020-21 के शुरू होने से कुछ दिन पहले ही कोविड महामारी की पहली लहर आयी थी और देश भर में लॉकडाउन लगाया गया था.
द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चंदे में 39.23 प्रतिशत की गिरावट आयी, जो वर्ष 2019-20 में 758.77 करोड़ रुपये से गिरकर वर्ष 2020-21 में 477.54 करोड़ रुपये रह गया. इससे पहले वर्ष 2018-19 की तुलना में 2019-20 में पार्टी को मिलने वाला चंदा 5.88 प्रतिशत बढ़ गया था.
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कांग्रेस को मिले चंदे में 46.39 प्रतिशत की गिरावट आयी, जो वर्ष 2019-20 में 139.016 करोड़ रुपये से गिरकर 2020-21 में 74.524 करोड़ रुपये रह गया. बयान के अनुसार, वर्ष 2018-19 से 2019-20 के बीच कांग्रेस का चंदा 6.44 प्रतिशत घट गया था.
राष्ट्रीय दलों को दिल्ली से कुल 246 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र से 71.68 करोड़ रुपये तथा गुजरात से 47 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला था. भाजपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और नेशनल पीपुल्स पार्टी देश के 8 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल हैं.
कॉर्पोरेट और व्यावसायिक क्षेत्र ने राष्ट्रीय दलों को 480.655 करोड़ रुपये का दान दिया, जो कुल दान का 80 प्रतिशत से अधिक था, जबकि 2,258 व्यक्तिगत दाताओं ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान इन पार्टियों को कुल 111.65 करोड़ रुपये या 18.804 प्रतिशत का योगदान दिया.
कॉर्पोरेट और व्यावसायिक क्षेत्र से 1,100 से अधिक दान भाजपा को मिले (416.794 करोड़ रुपये), जबकि 1,071 व्यक्तिगत दानदाताओं ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पार्टी को 60.37 करोड़ रुपये दिये. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कांग्रेस को कॉरपोरेट क्षेत्र से 146 दान के माध्यम से कुल 35.89 करोड़ रुपये और 931 व्यक्तिगत दाताओं के माध्यम से 38.634 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
एजेंसी इनपुट के साथ