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जानें, कैसे आता है भूकंप

नेपाल में शनिवार को आये भूकंप के कारण नेपाल के साथ-साथ भारत और अन्य पड़ोसी देशों में भी जान-माल को भारी क्षति पहुंची. भूकंप को लेकर तरह-तरह के कयासों और अफवाहों का बाजार गर्म है. सोशल मीडिया पर नित नयी भविष्यवाणियां हो रही हैं. वैज्ञानिक साफ कहते हैं कि भूकंप की कोई भविष्यवाणी नहीं हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2015 7:26 AM

नेपाल में शनिवार को आये भूकंप के कारण नेपाल के साथ-साथ भारत और अन्य पड़ोसी देशों में भी जान-माल को भारी क्षति पहुंची. भूकंप को लेकर तरह-तरह के कयासों और अफवाहों का बाजार गर्म है. सोशल मीडिया पर नित नयी भविष्यवाणियां हो रही हैं. वैज्ञानिक साफ कहते हैं कि भूकंप की कोई भविष्यवाणी नहीं हो सकती. यह पृथ्वी की हलचल का परिणाम होती है और इसका पूर्वानुमान मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. आइए, ग्राफिक्स के जरिये जानते हैं कि आखिर भूकंप आता कैसे है?

जलजले की भविष्यवाणी का सच
भूकंप का पूर्वानुमान संभव है? वैज्ञानिकों को मालूम हो सकता है कि कब और कहां भूकंप आ सकता है? नहीं. यह बताना संभव है कि भूकंप के बाद कुछ सेकेंड बाद कहां झटके आयेंगे. भूकंप के असर का दायरा क्या होगा. विशेषज्ञ बताते हैं कि सोशल मीडिया में भूकंप संबंधी कयास और टिप्पणियां बेबुनियाद और वैज्ञानिक तौर पर अतार्किक हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के प्रो चंदन घोष बताते हैं, ‘भूकंप के केंद्र में तो नहीं, लेकिन उसके दायरे में आनेवाले इलाकों में कुछ सेकेंड बताया जा सकता है कि वहां भूकंप आनेवाला है. कुछ सेकेंड का समय बेहद कम होता है. इसलिए इस संबंध में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती.’ घोष कहते हैं कि जापान में कुछ सेकेंड पहले यह सूचना दी जा सकती है, भारत में नहीं. जापान में भी सार्वजनिक तौर पर इसकी मुनादी नहीं की जाती. सूचना के आधार पर बुलेट ट्रेन और परमाणु संयंत्रों को रोक दिया जाता है.
ऐसे पता चलता है..
भूकंप आने पर प्राइमरी और सेकेंड्री दो तरह के वेव निकलते हैं. प्राइमरी वेव औसतन छह किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती है, जबकि सेकेंड्री चार किमी प्रति सेकेंड. इस अंतर के चलते प्रत्येक 100 किमी में आठ सेकेंड का अंतर हो जाता है. यानी भूकंप के केंद्र से 100 किमी दूरी पर आठ सेकेंड पहले पता चल सकता है कि भूकंप आनेवाला है. जापान, ताईवान जैसे देशों में इस अंतर से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है, भारत में नहीं. इधर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के एसोसिएट प्रोफसर आनंद कुमार कहते हैं, ‘चूहे, सांप पृथ्वी के अंदर रहते हैं, सो उन्हें पहले पता चल सकता है. कुतों भी भांप सकते हैं. लेकिन, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

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