कोच्चि : एनआईए की एक विशेष अदालत ने केरल में कॉलेज के एक प्रोफेसर का वर्ष 2010 में हाथ काटने के सनसनीखेज मामले में आज 13 लोगों को दोषी ठहराया, जबकि 18 अन्य को बरी कर दिया. ये लोग एक कट्टर इस्लामी संगठन से जुडे हैं. इन 13 में से दस अभियुक्तों को आतंकवाद से संबंधित केंद्रीय कानून अवैध गतिविधियां, निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया है. अदालत ने मामला पांच मई को सूचीबद्ध कर दिया है और उसी दिन अभियुक्तों को सजा सुनाए जाने की संभावना है.
एनआईए की विशेष आदलत के न्यायाधीश पी. शशिधरण ने मामले में 18 लोगों के खिलाफ सबूतों का अभाव होने का हवाला देते हुए उन्हें बरी कर दिया. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 13 लोगों को मामले में दोषी पाया गया, जिसमें इडुक्की जिले के थोडुपुझा के न्यूमैन कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसफ का हाथ काट लिया गया था. इन लोगों ने चार जुलाई 2010 को इरनाकुलम जिले के मुवातुपुझा में एक गिरिजाघर से रविवार की प्रार्थना करने के बाद लौट रहे जोसफ का हाथ काट लिया था. यूएपीए के अलावा अदालत ने दस आरोपियों को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया जिसमें आपराधिक षड्यंत्र और हत्या के प्रयास का मामला शामिल है.
बहरहाल अदालत ने तीन आरोपियों अब्दुल लतीफ, अनवर सादिक और रियाज को भादंसं की धारा 212 के तहत दोषी ठहराया. यह धारा अपराधियों को शरण देने से जुडी हुई है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन ने नि:संदेह साबित कर दिया है कि आठ आरोपियों ने कुछ अन्य के साथ मिलीभगत कर प्रोफेसर को गंभीर रुप से जख्मी कर खत्म करने का षड्यंत्र रचा. उनकी जोसफ से शत्रुता इस बात को लेकर थी कि उन्होंने छात्रों के लिए तैयार किए गए प्रश्नपत्र के माध्यम से धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई थी.