आर्थिक संकट के लिए संप्रग सरकार पर विपक्ष ने साधा निशाना

नयी दिल्ली : विपक्ष ने आज देश की मौजूदा आर्थिक हालात के लिए संप्रग सरकार पर निशाना साधा और अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति के लिए भ्रष्टाचार और सरकार की अक्षमता को जिम्मेदार ठहराया. लोकसभा में 2013 14 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के अनंत कुमार ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2013 4:17 PM

नयी दिल्ली : विपक्ष ने आज देश की मौजूदा आर्थिक हालात के लिए संप्रग सरकार पर निशाना साधा और अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति के लिए भ्रष्टाचार और सरकार की अक्षमता को जिम्मेदार ठहराया.

लोकसभा में 2013 14 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के अनंत कुमार ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर में बेतहाशा वृद्धि, राजस्व घाटा में बढोत्तरी और चालू खाते का घाटा के साथ देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा आम आदमी की बात करती है और कहती है कि कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ लेकिन आज महंगाई बहुत बढ गयी है और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही है जिससे आम आदमी बुरी तरह प्रभावित है. उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा अपनी जिम्मेदारी से बचती है और उल्टे विपक्ष को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करती है. उन्होंने कहा कि अगर ये शासन नहीं चला सकते तो सत्ता से हट जायें.

भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग सरकार के राज में रोजगार सृजन नकारात्मक स्थिति में पहुंच गया है. उन्होंने अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति के लिए अपने पूर्ववर्ती को जिम्मेदार ठहराने के लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम की आलोचना की और कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात के लिए चिदंबरम जिम्मेदार हैं.

उन्होंने बढती बेरोजगारी और किसानों की आत्महत्या के लिए संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले तीन महीने में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में 30 से 40 फीसदी की बढोत्तरी हुई है.

भाजपा नेता ने राजग सरकार से मौजूदा सरकार के कामकाज की आंकड़ों के जरिये तुलना करते हुए बताया कि वर्ष 2004 में जब संप्रग-. सत्ता में आयी थी तो उसे बहुत मजबूत स्थिति में अर्थव्यवस्था मिली थी. लेकिन आज हालत बहुत ही खराब है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 से 2004 के राजग के शासन के छह वर्षों के दौरान शायद ही मूल्यवृद्धि पर कोई चर्चा हुई हो क्योंकि राजग सरकार ने मुद्रास्फीति पर हमेशा नियंत्रण रखा था.

अनंत कुमार ने महंगाई को देखते हुए पांच लाख रुपये तक प्रतिवर्ष की आय कमाने वाले वालों की आयकर की दर को दस प्रतिशत से घटाकर पांच फीसदी करने की मांग की और कहा कि इससे साढे तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को फायदा होगा क्योंकि पांच लाख के सलैब के नीचे 98 फीसदी से ज्यादा आयकरदाता आते है.

उन्होंने हाल में उत्तराखंड में आयी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित केदारनाथ मंदिर के पुनर्निमाण के लिए आवंटित की गयी राशि को अपर्याप्त बताते हुए सरकार से इसके लिए 20 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने की मांग की.

कांग्रेस के मधु गौड़ याक्षी ने कर्नाटक जैसे राज्य में भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिए विपक्ष पर हमला बोला और साथ ही कहा कि संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार को कभी सहन नहीं किया और कार्रवाई करने में कोई कोताही नहीं बरती चाहे आरोप किसी व्यक्ति पर लगे हों.

कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष यह अफवाह फैलाता रहता है कि अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में है. उन्होंने कहा कि विपक्ष का गैर जिम्मेदाराना रवैया है एक ओर वह एफडीआई का विरोध करतरी है दूसरी तरह वह इस बात पर चिंता व्यक्त करती है कि विदेशी निवेश क्यों नहीं आ रहा है.

समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार ने अनुदान की अनुपूरक मांगों का समर्थन किया लेकिन सरकार से मंगाई पर काबू पाने, निवेशकों का विश्वास बहाल करने और रोजगार पैदा करने के लिए तत्काल उपाय किये जाने की मांग की.

जदयू के शरद यादव ने कहा कि 1991 में देश की अर्थव्यवस्था को खोलने और उसे बाजार से जोड़ने का जनता कोई लाभ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आज यह अर्थव्यवस्था गलत साबित हो गई है, लेकिन सरकार को हालात से उबरने की कोई युक्ति नहीं सूझ रही है.

उन्होंने सरकार को आगाह किया कि हाल में पारित खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए वह किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करे.बसपा के बलिराम ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी गरीबी उन्मूलन का कोई स्थाई हल नहीं ढूंढा जा सका है. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक भी आधा अधूरा प्रयास है, क्योंकि गरीबी को समाप्त करने का कोई कारगर प्रयास नहीं किया जा रहा है.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने इस अवसर पर पश्चिम बंगाल पर 2 लाख 3 हजार करोड़ रुपयों के बकाया रिण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके ब्याज की आदयगी पर 3 साल के रोक की मांग कर रही है लेकिन उसकी मांग नहीं मान कर प्रदेश के साथ ह्यवित्तीय ज्यादतीह्ण हो रही है.

मार्क्सवादी पी करुणाकरन ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं माना है कि देश की अर्थव्यस्था की स्थिति गंभीर है. लेकिन सरकार उसे इस हालत से निकालने के लिए कारगर उपाय नहीं ढूंढ पा रही है.

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