नहीं पूरी हो सकती किसानों की मांग

डीएम ने कहा, एक परियोजना एक रेट का लाभ नहीं पटना : आइआइटी के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण विवाद पर जिला प्रशासन ने अपना रुख साफ कर दिया है. डीएम डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि नियमों के मुताबिक बिहटा में अजिर्त भूमि के लिए किसानों को ‘एक परियोजना एक रेट’ का लाभ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2013 2:31 AM

डीएम ने कहा, एक परियोजना एक रेट का लाभ नहीं

पटना : आइआइटी के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण विवाद पर जिला प्रशासन ने अपना रुख साफ कर दिया है. डीएम डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि नियमों के मुताबिक बिहटा में अजिर्त भूमि के लिए किसानों को एक परियोजना एक रेट का लाभ नहीं मिल सकता.

लेकिन, इसके बावजूद अगर कोई किसान नियम होने का दावा करता है, तो अपर समाहर्ता को कागजात लाकर दिखाये. उनके कागजात से संतुष्ट होने पर जिला प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगा.

एक साल में ही भूमि अधिग्रहण पर लाभ

गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीएम ने कहा कि एक ही अधियाचना पर बिहटा में सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहित कर बियाडा को सौंपी गयी. इसमें से 500 एकड़ जमीन आइआइटी को मिली. जमीन का अधिग्रहण अलगअलग समय पर छह साल में हुआ. डीएम ने कहा कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियम के मुताबिक एक साल में ही समूची भूमि का अधिग्रहण होने पर एक परियोजना एक रेट का लाभ मिल सकता है.

स्थिति पर लगातार नजर

डीएम ने कहा कि बिहटा में किसानों के अनशन पर लगातार नजर रखी जा रही है. अपर समाहर्ता से लेकर एसडीओ तक मौके पर पहुंचे और अनशन समाप्त करने की अपील की. डीएम को बुलाये जाने की मांग बेतुकी है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की टीम लगातार अनशनकारियों के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है. जरूरत पड़ने पर उनको पीएचसी में भी भरती कराया जायेगा.

डीएम से मिलीं उषा विद्यार्थी

अनशनकारियों की मांगों को लेकर पालीगंज की भाजपा विधायक ऊषा विद्यार्थी ने भी डीएम से मुलाकात की. विधायक द्वारा प्रावधान के तहत मुआवजा दिये जाने की मांग पर डीएम ने कहा कि हमने नियम देखा है. बिलकुल संतुष्ट हैं कि एक परियोजना एक दर का नियम इसमें लागू नहीं होता है.

फिर भी कोई समस्या है, तो किसानों से दो आदमी आएं और अपर समाहर्ता के समक्ष अपनी बात रखें. डीएम ने कहा कि अधिग्रहण में पहले 80 फीसदी राशि का ही भुगतान होता है. शेष 20 फीसदी राशि प्राक्कलन बनने पर दी जायेगी. उन्होंने कहा कि 20 फीसदी राशि देने में विलंब होने पर उस पर बकायदार को सूद भी दिया जाता है.

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