नयी दिल्ली : भारत ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा गठित एक आयोग की रिपोर्ट पर गुरूवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. भारत की ओर से कहा गया कि वह इस तरह की रिपोर्ट में कोई गंभीरता नहीं है और इसपर संज्ञान नहीं लिया जा सकता. आपको बता दें कि आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक हमले हुए और उनका जबरन धर्मांतरण किया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा, ‘‘हमारा ध्यान यूएससीआईआरएफ की एक रिपोर्ट की ओर आकर्षित किया गया है, जिसमें भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर फैसला सुनाया गया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट भारत, उसके संविधान और उसके समाज के बारे में सीमित समझ पर आधारित लगती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम रिपोर्ट का संज्ञान नहीं लेते हैं.’’ अपनी 2015 की वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग :यूएससीआईआरएफ: ने कहा, ‘‘चुनाव के समय से ही धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी से जुडे नेताओं ने अपमानजनक टिप्पणियां कीं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तथा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) जैसे हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने अनेक हिंसक हमले और जबरन धर्मांतरण किए.’’ आयोग ने कहा कि देश के बहुलतावादी और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र का दर्जा रखने के बावजूद भारत को धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अपराध होने पर न्याय प्रदान करने में लंबा संघर्ष करना पडा है, जिससे दंडमुक्ति का माहौल बना.
आयोग ने कहा कि दिसंबर, 2014 में उत्तर प्रदेश में ‘घर वापसी’ अभियान के तहत हिंदू समूहों ने क्रिसमस के दिन कम से कम 4,000 ईसाई परिवारों और 1,000 मुस्लिम परिवारों को जबरन हिंदू धर्म में धर्मांतरण कराने की योजना का एलान किया था. यहां इस बात का उल्लेख किया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दो बार भारत में धार्मिक सहिष्णुता की जोरदार हिमायत की.