नयी दिल्ली :काठमांडू: नेपाल में 7.9 तीव्रता के भीषण भूकंप से अबतक 6200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और कम-से-कम 14000 लोग घायल हैं. बचावकर्मियों को सुदूरवर्ती पहाडी इलाकों में पहुंचने के लिए अभी भी संघर्ष करना पड रहा है. भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राहत अभियान में बाधा आई.
इस बीच 128 घंटे बाद एक इमारत के मलबे से 24 वर्षीय एक महिला को निकाला गया. नेपाल पुलिस और इस्राइल के बचावकर्मियों की एक संयुक्त टीम ने गंगाबे गांव में जनसेवा गेस्ट हाउस के मलबे से कृष्णा देवी खडका को निकाला.खडका से पहले एक किशोर को भी मलबे से जिंदा निकाला गया था.
नेपाल में आये भूकंप के बाद भारत के द्वारा चलाये जा रहे राहत-बचाव कार्य की समीक्षा करने आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर काठमांडू पहुंचे.अजीत डोभाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने क्षेत्र का दौरा किया जिससे पता चला कि यहां काफी नुकसान हुआ है. नेपाल और भारत की सेना पूरे जोर-शोर से राहत बचाव कार्य में लगी हुयी है.
टीवी रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने इस दोनों को समीक्षा रिपोर्ट तैयार करके सौंपने का निर्देश दिया है. इसी बीच नेपाल में मृतकों की संख्या 6204 तक पहुंच गई है जबकि घायलों की संख्या 14 हजार के करीब पहुंच चुकी है.
Foreign Secretary S. Jaishankar& Ajit Doval reach Kathmandu to oversee relief ops #NepalEarthquake pic.twitter.com/mq5Vi8HiUP
— ANI (@ANI) May 1, 2015
विनाशकारी भूकंप से तबाह हुए नेपाल में गुरूवार को बारिश वाले दिन मलबे से एक किशोर और एक महिला को जिंदा निकाले जाने के वक्त थोडी खुशी का लम्हा आया, जबकि तीन हल्के झटकों से लोग सहमें रहें. वहीं, नेपाल के सेना प्रमुख ने इस आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 15,000 पहुंच सकने की आशंका जताई है.
भूकंप के झटकों ने एक बार फिर डराया
रिक्टर स्केल पर 3.9 व 4.7 की तीव्रतावाले तीन झटकों से लोगों में गुरुवार को भी घबराहट दिखी और अपने गांवों को जाने के लिए वे बेसब्री से बसों का इंतजार करते देखे गये. बचावकर्मी अब भी सुदूर पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जहां भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है.
बचाव कार्य की जद्दोजहद
अधिकारियों ने कहा है कि देश में सहायता हासिल करने और उसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में उन्हें कठिनाई आ रही हैं. देश के लोगों में क्रोध और निराशा बढ़ती जा रही है और लोगों को पुलिस से भिड़ते एवं भोजन-पानी की आपूर्ति के लिए लड़ते देखा जा रहा है. चूंकि, राहत व बचाव अभियान अब तक काठमांडू घाटी तक सीमित है, इसलिए दूसरे जिलों में बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों की सख्त जरूरत है.
नेपाल में भारत का ‘ऑपरेशन मैत्री’
शनिवार को जब नेपाल में भूकंप आया तो भारत तुरंत हरकत में आ गया और जोर-शोर से राहत कार्यो में लग गया. जिस मुस्तैदी के साथ भारत ने नेपाल के साथ एक बड़े भाई का फर्ज निभाया, इस पर नेपाल को भी कहना पड़ा कि भारत की मदद एक ‘ब्लैंक चेक’ की तरह है. क्या सरकारी और क्या गैर-सरकारी, भारत की सारी मशीनरियां नेपाल में हताहतों की मदद को उमड़ पड़ीं.
बड़ी कंपनियां छोटे स्टार्टअप्स भी मुस्तैद
राहत व पुनर्वास कार्यो के लिए गोदरेज इंडस्ट्रीज के कर्मचारी एक दिन का वेतन दान करेंगे. कोका कोला ने अपने बोतलबंद पानी के ब्रांड किनली के 10 हजार डिब्बे भेजे हैं. महिंद्रा समूह अपने स्थानीय डीलरों के जरिये ट्रैक्टर और पिक -अप वैन राहत कार्यो में लगवा रहा है. डाबर ने जूस और ग्लूकोज, तो आइटीसी ने सनफीस्ट बिस्किट और नूडल्स का इंतजाम कराया है. स्पाइसजेट ने हताहतों को मुफ्त में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. वहीं, ड्रोन बनानेवाले स्टार्टअप आइडियाफोर्ज ने एनडीआरएफ के लिए प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेनेवाले ड्रोन नेपाल भेजा है. दूसरी ओर पेमेंट वॉलेट पेटीएम और ऑक्सीजेन ने अपने रोजाना कारोबार का एक प्रतिशत हिस्सा भूकंप पीड़ितों के पुनर्वास के लिए देने का फैसला किया है.