बच्चों का सोशल नेटवर्किंग साइटों पर होना गैरकानूनी

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा जिसमें सवाल किया गया है कि कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अकाउंट खोलने की अनुमति दी जा रही है जबकि भारतीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता है. अदालत ने अमेरिका की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:30 PM

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा जिसमें सवाल किया गया है कि कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अकाउंट खोलने की अनुमति दी जा रही है जबकि भारतीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता है.

अदालत ने अमेरिका की दो कंपनियों फेसबुक इंक और गूगल इंक से भी भाजपा के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य की याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें उन्होंने भारत में अपनी वेबसाइटों के संचालन से इन कंपनियों को हो रही आय पर कर वसूले जाने का आदेश दिए जाने की मांग की है.

न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने केंद्र के वकील सुमित पुष्कर्णा से 10 दिन के भीतर हलफनामा के जरिए सरकार का रुख स्पष्ट करने को कहा. इसके बाद उन्होंने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मई निर्धारित कर दी. पीठ ने कहा, “कैसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों का फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ अनुबंध हो सकता है.

केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह इस मुद्दे पर 10 दिन के भीतर हलफनामा दायर करे.”अदालत ने यह भी कहा, “फेसबुक इंक और गूगल इंक अमेरिकी कंपनियां हैं और इसलिए प्रतिवादी के तौर पर उन्हें भी पक्षकार बनाया जाता है. नए पक्षकारों को भी नोटिस जारी किया जाए.”पीठ ने गोविंदाचार्य के वकील वीराग गुप्ता की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया. उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे अकाउंट खोलने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों के साथ समझौता कर रहे हैं जो भारतीय वयस्कता कानून, भारतीय संविदा अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के खिलाफ है.

गुप्ता ने कहा कि उपयोगकर्ताओं की जांच नहीं किए जाने की वजह से दुनियाभर में आठ करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता “फर्जी” पाए गए हैं. इस बात को वेबसाइट ने अमेरिकी प्राधिकार के समक्ष माना है. वकील ने दावा किया कि भारत सरकार विदेशी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है, जिनका भारत में भी व्यापार है.

फिलहाल “राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन” के संरक्षक गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका में केंद्र और दो वेबसाइटों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि “वे आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार उचित लेखा अनुपालन सुनिश्चित करें.” याचिका में कहा गया है,” फेसबुक का पिछले साल सकल राजस्व तकरीबन 37 अरब डॉलर था लेकिन वे भारत सरकार को कर नहीं दे रहे हैं. “याचिका में 5 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं के आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

इन आंकड़ों को अमेरिका को सौंप दिया गया है और इसका इस्तेमाल निजता के अधिकार का उल्लंघन करके वाणिज्यिक फायदे के लिए किया जा रहा है. याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह “परमादेश” रिट जारी करे ताकि सोशल नेटवर्किंग साइटों के सभी मौजूदा उपयोगकर्ताओं और भावी सदस्यों की जांच सुनिश्चित की जा सके और उसमें यह निर्देश दिया जाए कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ अनुबंध नहीं किया जाए”

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