नयी दिल्ली : केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में अध्यापन संकाय (टीचिंग फैकल्टी) की कमी पर चिंता जताते हुए आज राज्यसभा में मांग की गई कि इस समस्या को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं ताकि शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.शून्यकाल में राकांपा के डी पी त्रिपाठी ने केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में अध्यापन संकाय की कमी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इन विश्वविद्यालयों में करीब 40 फीसदी पद रिक्त हैं. ज्यादातर रिक्त पद प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों के हैं. प्रध्यापकों की कमी की वजह से संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्र एक या दो साल में ही संस्थान छोड़ जाते हैं.
उन्होंने कहा कि ये छात्र फिर निजी संस्थानों का रुख करते हैं जो उनसे मनमानी फीस लेते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी की वजह से शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. विभिन्न दलों के सदस्यों ने त्रिपाठी के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया.
उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में 40 फीसदी पद रिक्त होना चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और सरकार को इस बारे में तत्काल कदम उठाना चाहिए.
शून्यकाल में ही माकपा के के एन बालगोपाल ने मंदिरों में रखे सोने को बेचने के भारतीय रिजर्व बैंक के कथित प्रस्ताव का मुद्दा उठाया और कहा कि अगर ऐसा कोई कदम उठाया जाता है तो उससे पहले इस संपत्ति के प्राचीन मूल्य का आकलन करना चाहिए.
माकपा के पी राजीव ने शून्यकाल में सीरिया पर हमले की अमेरिका की कथित योजना का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की है कि उनका देश सीरिया में सैन्य हमला करेगा जिसके लिए वह अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव लाएंगे.
राजीव ने कहा कि खबरों के अनुसार, अमेरिकी सीनेट ने सीरिया पर सैन्य हमले के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अब कांग्रेस की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. भाकपा नेता ने कहा ‘‘न तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया पर हमले के बारे में कोई प्रस्ताव पारित किया गया और न ही अब तक उस कथित रसायनिक हमले के सबूत मिले हैं जिसका हवाला दे कर वहां सैन्य हमला करने की बात कही जा रही है.’’
राजीव ने कहा ‘‘इराक पर हमला सामूहिक विनाश के हथियारों का हवाला दे कर किया गया था लेकिन वहां आज तक ऐसे हथियार नहीं मिले.’’ उन्होंने कहा कि खबरों के अनुसार, ब्रिटेन में कहा गया है कि भारत इस सैन्य हमले का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातों से भारत की साख को धक्का लगता है.
माकपा नेता ने मांग की कि रुस के सेंट पीर्ट्सबर्ग में हो रही जी 20 की बैठक में भाग लेने गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अमेरिका से कहना चाहिए कि वह सीरिया पर सैन्य हमला न करे.
शिवसेना के अनिल देसाई ने नई दिल्ली के प्रमुख चिकित्सा संस्थान ‘एम्स’ :अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान: के बाहर पड़े मरीजों और उनके परिजनों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी सरकारी अस्पतालों के सामने मरीज और उनके परिजन पड़े रहते हैं क्योंकि अंदर मरीजों को भर्ती करने के लिए बिस्तर नहीं होते.
उन्होंने कहा कि एक ओर हम चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं और विदेशियों को भारत में इलाज कराने के लिए आकर्षित कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर घरेलू मरीजों की दशा की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि कुछ सियासी लोग भी अवैध खनन के कारोबार से जुड़े हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाता है. उन्होंने मांग की कि देश के राजस्व को बचाने के लिए भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से एक नीति बनाई जानी चाहिए.
तृणमूल कांग्रेस के विवेक गुप्ता ने सीएडी का मुद्दा उठाया और कहा कि टेलीविजन सेटों के आयात पर शुल्क लगाने से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि सोने के आयात को रोकना सराहनीय कदम है लेकिन इसकी राशनिंग नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने मांग की कि लगातार बढ़ते राजस्व घाटे को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.
भाजपा के धर्मेद्र प्रधान ने पश्चिमी ओडिशा में उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित किए जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि यह मांग बरसों पुरानी है और अब इसे पूरा किया जाना चाहिए. कांग्रेस के हनुमंत राव ने आईआईटी मद्रास में कथित अनियमितताओं का मुद्दा उठाया.