नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज भारतीय फिल्म उद्योग से ‘सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों’ के साथ बाजार से उपर उठकर सोचने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सिनेमा सच्चे भाव में देश के ‘साफ्ट पावर’ को प्रदर्शित करता है. राष्ट्रपति ने यहां 62वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में अपने संबोधन में डिजिटलीकरण से बाजार को हुए लाभ को बनाए रखने के लिए ज्यादा स्क्रीन खोलने का समर्थन किया.
डिजिटलीकरण से 60 से 80 प्रतिशत राजस्व पहले सप्ताह में ही एकत्रित हो जाता है. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हिन्दी सिनेमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा काम कर रहा है, लेकिन क्षेत्रीय फिल्मों को दृश्यता के समान स्तर पर लाने के लिए सहयोग की जरुरत है.
राष्ट्रपति ने प्रसिद्ध बांग्ला फिल्मकार रित्विक घटक के हवाले से कहा ‘मैं विविधता तथा समग्रता की हमारी समृद्ध सभ्यता की धरोहर को आगे बढाने वाले सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के विकास में मदद के लिए फिल्म उद्योग से बाजार से आगे देखने और मिलकर काम करने का अनुरोध करता हूं.’
उन्होंने कहा ‘हमारी फिल्में न केवल हमारे देश की बहुसांस्कृतिक विविधता को दिखाती हैं बल्कि हमारी भाषायी समृद्धि को भी ये समर्पित हैं. ये राष्ट्रीय खजाना हैं और सच्चे भाव में देश के ‘साफ्ट पावर’ को प्रदर्शित करती हैं.