जुबिन मेहता के कंसर्ट से कश्मीर मंत्रमुग्ध

श्रीनगर : विश्व प्रसिद्ध ऑर्केस्ट्रा संचालक जुबिन मेहता ने आज शाम यहां डल झील के तट पर स्थित शालीमार बाग में कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ भावपूर्ण धुनों को जब जबरवान हिल्स की शानदार पृष्ठभूमि में छेड़ा तो श्रोता मंत्रमुग्ध रह गए. मेहता और उनके बावरियन स्टेट ऑर्केस्ट्रा ने शानदार चिनारों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2013 10:54 AM

श्रीनगर : विश्व प्रसिद्ध ऑर्केस्ट्रा संचालक जुबिन मेहता ने आज शाम यहां डल झील के तट पर स्थित शालीमार बाग में कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ भावपूर्ण धुनों को जब जबरवान हिल्स की शानदार पृष्ठभूमि में छेड़ा तो श्रोता मंत्रमुग्ध रह गए.

मेहता और उनके बावरियन स्टेट ऑर्केस्ट्रा ने शानदार चिनारों से युक्त 400 साल पुराने मुगल गार्डन में लुडविग वान बीथोवेन, फ्रांज जोसफ हेडन और प्योत्र इलिइच त्चाइकोवस्की की कृतियों को 1500 आमंत्रित अतिथियों के समक्ष पेश किया. पारंपरिक कश्मीरी वाद्य यंत्रों को लिए अभय सोपोरी की मंडली के साथ संगत में आर्केस्ट्रा का नेतृत्व करके मेहता ने कंसर्ट की शुरुआत की.

‘एहसास-ए-कश्मीर’ नाम के कंसर्ट ने अलगाववादियों और समाज के विरोध के मद्देनजर राजनैतिक रंग ले लिया. अलगाववादियों और समाज ने इसे कश्मीर में शांति की तस्वीर पेश किए जाने के प्रयास के तौर पर लिया, जहां हाल के दशकों में इतना रक्तपात देखा गया है. कंसर्ट के खिलाफ हुर्रियत कान्फ्रेंस के चरमपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बंद के आह्वान के मद्देनजर शहर का ज्यादातर हिस्सा बंद रहा.

कंसर्ट की शुरुआत 77 वर्षीय संगीतकार ने हिंदी में यह कहते हुए की, ‘‘हम बहुत खुश हैं, हम बहुत खुश हैं. मैंने वर्षों से इस क्षण की प्रतीक्षा की और इसका सपना देखा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कहां हैं वो लोग जिनका संगीत हमने अनायास सुना है. ‘अगली बार से तो ये सब मुफ्त होना चाहिए. म्यूजिक सबके लिए होना चाहिए और यह कुछ चुनिंदा लोगों के लिए नहीं होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सिर्फ अच्छा करना चाहते हैं. संगीत यहां से जहां कहीं भी हमारे मित्र हों वहां पहुंचना चाहिए—-सभी कश्मीरियों को पहुंचना चाहिए.’’

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अमीर खुसरो की इन पंक्तियों को उद्धृत करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की, ‘‘अगर धरती पर जन्नत है, तो यह यहीं है, यहीं है. शालीमार बाग एकबार फिर संगीत की ध्वनि से जीवंत हो गया है.’’ कंसर्ट की मेजबानी करने वाले भारत में जर्मनी के राजूदत माइकल स्टीनर ने कहा, ‘‘म्यूनिख और श्रीनगर के बीच दूरी 7756 किलोमीटर है. आज यह दूरी घटकर शून्य हो गई है. जर्मन और यूरोपीय सांस्कृतिक विरासत कश्मीर, उसके इतिहास, उसकी खूबसूरती और उसकी कठिन हकीकतों और यात्रा के आगे सिर झुकाती है.

कश्मीरी कवि हब्बा खातून और जर्मन कवि रायनर मारिया रिल्के को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया आपको ,‘एहसास-ए-कश्मीर’ को देख रही है.’’ राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के समर्थन के प्रति आभार प्रकट करते हुए स्टीनर ने कहा, ‘‘मैं आप सबका और सबसे अधिक सभी कश्मीरियों का शुक्रिया अदा करता हूं.’’ कंसर्ट के आयोजन से मुंबई में जन्मे मेहता की वर्षों की इच्छा पूरी हो गई.

उन्होंने कंसर्ट को लेकर विवादों को दरकिनार करते हुए कहा कि वह यहां कार्यक्रम पेश करके बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कश्मीर को नहीं चुना, कश्मीर ने मुझे चुना.’’ श्रोताओं में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा, केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला और कई सेलिब्रिटी और कई देशों के राजदूत शामिल थे.

हाई प्रोफाइल कार्यक्रम का दूरदर्शन ने पहली बार एचडी फार्मेट में प्रसारण किया. इसे भारत और 50 यूरोपीय देशों में लाखों लोगों ने देखा. मेहता ने सिंफनी नंबर 5 का वादन किया. यह प्रसिद्ध जर्मन संगीतकार बीथोवेन की रचना है. बीथोवेन को 19 वीं सदी की शुरुआत में पश्चिमी कला संगीत में शास्त्रीय से रोमांटिक युग में प्रवेश के बीच में महत्वपूर्ण हस्ती माना जाता है.

आज की शाम जिन अन्य जानी-पहचानी रचनाओं को पेश किया गया उसमें हेडन की ‘कंसटरे फॉर ट्रंपेट’ भी शामिल है. हेडन 18 वीं सदी के उत्तरार्ध के ऑस्ट्रियाई संगीतकार थे, जिन्हें ‘‘फादर ऑफ सिंफनी’’ माना जाता है. इसके अतिरिक्त रुसी संगीतकार त्चाईकोवस्की की वायलिन कंसटरे भी शामिल है. त्चाईकोवस्की 19 वीं सदी के सर्वाधिक प्रख्यात संगीतकारों में एक थे.

न्यूयॉर्क फिलहार्मोनिक और इस्राइल फिलहार्मोनिक समेत कई अंतरराष्ट्रीय ऑर्केस्ट्रा के साथ काम कर चुके मेहता ने अलगाववादियों और अन्य द्वारा कंसर्ट पर आपत्ति जताकर पैदा किए गए विवाद को नजरअंदाज कर संगीत का जादुई ताना-बाना बुना और अपने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

17 वीं सदी के मनमोहक शालीमार बाग में आयोजित कार्यक्रम में तुरही पर एकल वादक एंड्रियस ओएटल और वायलिन पर लिथुवानियाई जूलियन राचलिन ने मेहता का पूरा साथ दिया.

प्रसिद्ध कश्मीरी संगीतकार पंडित भजन सोपोरी के पुत्र अभय रुस्तम सोपोरी ने लोक संगीत से समा बांध दिया. अभय की मंडली ने 15 कश्मीरी वाद्य यंत्रों यथा संतूर, रबाब, तुंबक, सारंगी और मटके की थाप के साथ अपना कार्यक्रम पेश किया.

‘एहसास-ए-कश्मीर’ की परिकल्पना स्टीनर ने की थी. इसपर हुर्रियत कान्फ्रेंस और समाज के एक हिस्से ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने यह कहते हुए इसपर आपत्ति जताई थी कि यह विवादित भूमि से कश्मीर के दज्रे को बदलने का प्रयास है.

समाज ने म्यूनिसिपल पार्क में समानांतर कंसर्ट ‘हकीकत-ए-कश्मीर’ का आयोजन किया. म्यूनिसिपल पार्क शालीमार बाग से ज्यादा दूरी पर नहीं है. शालीमार बाग का निर्माण मुगल बादशाह जहांगीर ने 1619 में अपनी पत्नी नूरजहां के लिए करवाया था.

हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक ने इससे पहले कहा, ‘‘हम मेहता या अन्य गणमान्य लोगों के खिलाफ नहीं हैं. कोई भी कार्यक्रम के खिलाफ नहीं है लेकिन इसने राजनैतिक रंग ले लिया है क्योंकि ऐसा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य और शांतिपूर्ण है, जबकि ऐसा नहीं है.’’

Next Article

Exit mobile version