दाउद का अता-पता मालूम नहीं होने की बात कहना एक गलती है : मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त
मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के अते-पते के बारे में कुछ जानकारी नहीं होने के गृहमंत्रालय के ‘‘शर्मनाक’’ रुख पर निराशा जाहिर की है और कहा कि सरकार की ओर से यह जवाब एक बडी गलती है.सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘यहां तक कि हमारी खुफिया एजेंसियों ने […]
मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के अते-पते के बारे में कुछ जानकारी नहीं होने के गृहमंत्रालय के ‘‘शर्मनाक’’ रुख पर निराशा जाहिर की है और कहा कि सरकार की ओर से यह जवाब एक बडी गलती है.सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘यहां तक कि हमारी खुफिया एजेंसियों ने साबित कर दिया है कि दाउद इब्राहिम आईएसआई के संरक्षण में है. इसलिए यह कहना कि दाऊद कहां है..केंद्र सरकार की ओर से एक बडी गलती है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह भी संभव है कि आईएसआई ने उसका खात्मा कर दिया होगा लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह (दाऊद) पाकिस्तान में आईएसआई की निगरानी में है या था.’’ अपने पहले के रुख से विरोधाभासी बयान देते हुए सरकार ने संसद में कहा कि उसे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के बारे में कोई जानकारी नहीं है जिसे पाकिस्तान से वह स्वदेश भेजे जाने की मांग कर रही है.
गृह राज्य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने एक लिखित जवाब में कहा कि उसके ठिकाने का अब तक पता नहीं चला है. ठिकाने का पता चलने पर ही दाउद के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरु की जाएगी.सिंह ने कहा, ‘‘चूंकि वह (दाऊद) पाकिस्तान के लिए भी सरदर्द बन गया है, बढते दबाव के चलते उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है. यह बात पूरी तरह से तय है कि वह अब भी आईएसआई के संरक्षण में है.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र दाऊद को वापस लाने के लिए गंभीर है, सिंह ने जवाब दिया, ‘‘यदि यह मंत्रालय का जवाब है तो सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठना लाजमी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मैं आपको नहीं कह सकता कि सरकार ने ऐसा जवाब क्यों दिया. लेकिन इसने खुद (सरकार) की अधिक शर्मिंदगी कराई है.
उसे वापस लाने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए, सिंह ने कहा कि मशीनरी और प्रौद्योगिकी के मामले में अमेरिका के समान सुसज्जित होने के बावजूद (मैं) यह सुझाव नहीं दे सकता कि सरकार को सिर्फ दाउद को वापस लाने के लिए पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव बनाना ही हमारे पास एकमात्र विकल्प बचता है.