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लोकसभा में सोनिया गांधी का नरेंद्र मोदी सरकार पर वार, बोलीं संवैधानिक संस्थाओं की हो रही है उपेक्षा

नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश में आधे से अधिक सूचना आयुक्त कार्यालयों में ढांचागत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से आरटीआई को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश में लगी है. उन्होंने लोकपाल […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश में आधे से अधिक सूचना आयुक्त कार्यालयों में ढांचागत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से आरटीआई को निष्प्रभावी बनाने की कोशिश में लगी है.
उन्होंने लोकपाल के पद के खाली रहने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि मई 2014 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद व्हिस्ल ब्लोअर विधेयक को अधिसूचित नहीं किया गया है. उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार विधेयकों को आगे बढाने में अभूतपूर्व जल्दबाजी दिखा रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पारदर्शिता के मुद्दे पर सरेआम अपनी बात से पलटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आज तगडा हमला बोला और आरोप लगाया कि उनकी सरकार जानबूझकर मुख्य सूचना आयुक्त , सीवीसी और लोकपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां नहीं कर रही है. भाजपा सरकार पर आरटीआई अधिनियम को निष्प्रभावी बनाने के प्रयास करने का आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि नागरिकों को अब सरकार से सवाल करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और कैग के अलावा अब प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय आरटीआई के तहत उल्लंघन के लिए जवाबदेह नहीं हैं और सार्वजनिक जांच से सुरक्षित हैं.
सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की थी लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन्हें प्रश्नकाल के बाद यह मुद्दा उठाने को कहा. सीआईसी पद के पिछले आठ महीने और तीन सूचना आयुक्तों के पदों के एक साल से अधिक समय से खाली पडे रहने पर खेद जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसके कारण 39 हजार मामले लंबित हो गए हैं.
उन्होंने कहा, सूचना देने में देरी, सूचना नहीं देने के समान है. यह कतई स्वीकार्य नहीं है. गलत काम करने वालों को संरक्षण प्रदान करना किसी सरकार के नैतिक मूल्यों का हिस्सा नहीं हो सकता. उन्होंने मोदी के पारदर्शिता और सुशासन के वादों को याद किया.
सोनिया ने कहा कि सरेआम पलटी मारते हुए उनकी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय अब जवाबदेह नहीं हैं. उन्होंने कहा, यह पारदर्शिता से बचने और आरटीआई को निष्प्रभावी बनाने का स्पष्ट प्रयास है. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा लाए गए इस मील के पत्थर कानून ने लाखों लोगों को सशक्त बनाया था.
वहीं लोकपाल के मुद्दे पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि समिति के न्यायविद के संबंध में कोई निर्धारित कार्यकाल नहीं है और इसीलिए सरकार ने इसे तीन साल सीमित कर दिया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा लोकसभा में विपक्ष के नेता के अभाव में चयन समिति में सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को शामिल किया गया है. उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा, आपको तो इसके लिए आभारी होना चाहिए और सराहना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके अलावा अब यह मामला स्थायी समिति के पास है और सरकार समिति की रिपोर्ट आने तक कुछ नहीं कर सकती.
संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिए कांग्रेस सदस्यों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मंत्री और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष को पूरी शांति के साथ सुना लेकिन अब कांग्रेस सदस्य मंत्री का जवाब सुने बिना वाकआउट कर गए.

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