नयी दिल्ली : भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को आज राज्यसभा ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी तथा सरकार ने उम्मीद जताई कि इस कानून के लागू होने से इस पडोसी देश के साथ संबंध और प्रगाढ होंगे.
उच्च सदन ने आज कांग्रेस और तृणमूल सहित सभी राजनीतिक दलों के समर्थन से संविधान (119वां संशोधन) विधेयक 181 के मुकाबले शून्य मत से पारित कर दिया. विधेयक पारित होने से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के शासनकाल में लाया गया था.
सुषमा ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीबुर्रहमान के बीच 1974 में जो समझौता हुआ था वह 41 वर्षों के बाद आज इस विधेयक के माध्यम से साकार होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बस्तियों के आदान-प्रदान को लेकर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के शासनकाल में एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे. उसी प्रोटोकॉल के प्रावधानों को लागू करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.
सुषमा ने माना कि पहले असम गण परिषद (अगप) और भाजपा ने भी इस विधेयक का विरोध किया था क्योंकि उन्हें लग रहा था कि असम के हितों की अनदेखी हुयी है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारुढ पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी उस समय इसका विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने तृणमूल कांग्रेस की सारी चिंताओं को दूर किया है और आज वह इस विधेयक का पूरी तरीके से समर्थन कर रही है.
विदेश मंत्री सुषमा ने कहा कि पहले सरकार का यह मानना था कि इस विधेयक के दायरे से असम को अलग रखा जाए लेकिन अब असम को भी इसमें शामिल किया गया है. सुषमा ने कहा कि इस विधेयक से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय और असम राज्य प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लागू होने पर 510 एकड जमीन हमारे पास आ रही है जबकि 10,000 एकड जमीन उधर जा रही है. उन्होंने कहा कि यह 10,000 एकड जमीन आभासी (नोशनल) है क्योंकि यह उस जगह पर स्थित है जहां पर हम जा ही नहीं सकते.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में जनसंख्या की अदला-बदली का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसी बस्तियों में रहने वाले लोगों पर यह बात छोड दी गई है कि वे चाहें तो अपनी वर्तमान नागरिकता को बरकरार रखें अथवा दूसरे देश की नागरिकता ले लें. उन्होंने कहा कि जो बांग्लादेशी नागरिक भारत की नागरिकता लेना चाहेंगे उन्हे हमारी नागरिकता दी जाएगी. साथ ही यदि कोई भारतीय बांग्लादेश की नागरिकता लेना चाहेगा तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे बांग्लादेश की नागरिकता मिले और वह गरिमापूर्ण जीवन बिताए.
सुषमा ने पश्चिम बंगाल का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य को 3008 करोड रुपये का पैकेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक करीब 35,000 लोग हमारी तरफ आएंगे जबकि एक सर्वे के अनुसार ऐसे लोगों की संख्या महज 3500 होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार को जो पैकेज दिया है वह 35,000 लोगों को ध्यान में रखते हुए ही दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस पैकेज में 774 करोड रुपये मकान जैसे आधारभूत ढांचों के लिए होंगे. विदेश मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय नोडल एजेंसी होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि यह विधेयक जल्द से जल्द लागू हो ताकि इसका सार्थक प्रभाव पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पड सके. उन्होने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ साथ बांग्लादेश के साथ भी सडक, रेल, जल मार्ग से संपर्क को बढाना चाहती है. इससे पहले विधेयक पर कांग्रेस के कर्ण सिंह ने चर्चा की शुरुआत की और इस विधेयक को ‘देर आए दुरुस्त आए’ की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से कई फायदे होंगे. उन्होंने कहा कि अन्य फायदों के साथ साथ दोनों ओर सौहार्द्र भी स्थापित होगा.
उन्होंने कई पडोसी देशों के साथ सीमाओं के सीमांकन नहीं होने का जिक्र किया और कहा कि अब बांग्लादेश के साथ लगी सीमा का सीमांकन संभव हो सकेगा. उन्होंने उम्मीद जतायी कि एक दिन आएगा जब चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं का भी सीमांकन हो सकेगा.
भाजपा के दिलीप भाई पांड्या ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से पडोसी देश बांग्लादेश के साथ संबंध और मधुर होंगे. उन्होंने चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया.
सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि आजादी के बाद से ही देश की सीमाएं सिकुड रही हैं. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों भारत के एक बडे हिस्से पर कब्जा किए हुए हैं. यादव ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार ने बांग्लादेश की सीमाओं से लगे राज्यों के साथ सलाह मशविरा किया है जो सराहनीय है.