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नये कानून से माओवाद पर लगेगी रोक:रमेश

नयी दिल्ली:भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन तथा पुर्नव्यस्थापन विधेयक के कई प्रावधानों पर जतायी जा रही आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि नये कानून में आदिवासियों, किसानों, भूमिहीनों और अनुसूचित जाति के लोगों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है. कॉरपोरेट और इंडस्ट्री की ओर से जतायी जा […]

नयी दिल्ली:भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन तथा पुर्नव्यस्थापन विधेयक के कई प्रावधानों पर जतायी जा रही आशंकाओं को दूर करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि नये कानून में आदिवासियों, किसानों, भूमिहीनों और अनुसूचित जाति के लोगों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है. कॉरपोरेट और इंडस्ट्री की ओर से जतायी जा रही आशंकाओं को निमरूल बताते हुए कहा कि यदि किसी की भूमि पर बड़े प्रोजेक्ट लगाये जाते हैं, तो उन प्रोजेक्ट से होने वाले लाभ में उनकी भी हिस्सेदारी होनी चाहिए, जिन्होंने अपनी जमीन दी है.

नये कानून के प्रावधान के तहत अधिगृहित भूमि का मुआवजा किसानों को नहीं मिला है तो बढ़े दाम का 40 फीसदी किसानों को देना होगा. उन्होंने विशेष परिस्थिति (अरजेंसी) में भूमि अधिग्रहण के विषय में कहा कि यह दो ही परिस्थिति में लागू हो सकता है, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्राकृतिक आपदा. पुराने कानून में जहां भूमि अधिग्रहण का अधिकार कलेक्टर को दिया गया था, वहीं नये कानून में इसका अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है. खासकर आदिवासी इलाकों में ग्राम सभा की सहमति के बगैर भूमि का अधिग्रहण हो ही नहीं सकता है. मुआवजा के जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दो गुना न्यूनतम मुआवजा निर्धारित किया गया है. राज्य सरकार इससे ज्यादा दे सकती है, लेकिन कम नहीं. उसी तरह निजी कंपनियों के लिए 80 प्रतिशत किसानों की सहमति तथा पीपीपी के लिए 70 प्रतिशत किसानों की सहमति का प्रावधान रखा गया है. यदि राज्य सरकार चाहे, तो इसे शत-प्रतिशत भी कर सकती है. जयराम रमेश ने कहा कि नक्सल प्रभावित 88 जिलों में से 50 जिलों का उन्होंने दौरा किया है और जहां-जहां वह गये हैं, उन सभी जगहों पर जमीन से जुड़े मुद्दे नक्सलवाद को प्रभावित करते हैं.

सभी जगहों पर जंगल और जमीन के कारण ही यह समस्या बढ़ी है.
सही बात यह है कि पुराने कानून से आदिवासियों को आज तक कुछ नहीं मिला है. जो लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं वह अंग्रेजीदां और अंग्रेजीभाषी लोग है. जयराम ने कहा कि आदिवासियों के बेघर होने और विकास के काम में उनको भागीदारी नहीं मिलने से नक्सल को प्रोत्साहन मिला है. यदि इस कानून को ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू किया जाये, तो नक्सली जो प्रचार करते हैं कि उनकी भूमि को सरकार ने ले ली है, इस पर विराम लगेगा.

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