दिल्ली गैंगरेप:बहस पूरी,अभियोजन पक्ष ने मांगी फांसी,सजा का एलान कल

नयी दिल्ली:दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले (16 दिसंबर, 2012) के दोषियों को फांसी होगी या उम्र कैद, सजा का एलान शुक्रवार को होगा. बुधवार को कोर्ट में चार दोषियों की सजा पर बहस पूरी हो गयी. तीन घंटे की बहस के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने कहा कि चारों दोषियों के खिलाफ सजा पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2013 7:57 PM

नयी दिल्ली:दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले (16 दिसंबर, 2012) के दोषियों को फांसी होगी या उम्र कैद, सजा का एलान शुक्रवार को होगा. बुधवार को कोर्ट में चार दोषियों की सजा पर बहस पूरी हो गयी. तीन घंटे की बहस के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने कहा कि चारों दोषियों के खिलाफ सजा पर शुक्रवार की दोपहर में फैसला सुनाया जायेगा. बहस के दौरान दिल्ली पुलिस ने इस सामूहिक बलात्कार को ‘दुर्लभतम’ मामला बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने का अनुरोध किया. साथ ही कहा कि दोषियों में सुधार की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि उनका व्यवहार बर्बर था. यद्यपि दोषियों के वकीलों ने नरमी बरतने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें सुधरने का एक मौका मिले.


शिंदे के खिलाफ याचिका

सजा के मामले पर सुनवाई शुरू होते ही दोषी मुकेश के वकील ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने संबंधी याचिका दायर की. यह याचिका शिंदे के उस कथित बयान के कारण दायर की जिसमें उन्होंने कहा था कि चारों दोषियों की मौत की सजा निश्चित है.

क्या है मामला
16 दिसंबर, 2012 की रात छात्र अपने मित्र के साथ फिल्म देख कर निकली थी और घर जाने के लिए बस में चढ़ी. बस में उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. 29 दिसंबर की रात इलाज के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गयी थी.

अभियोजन पक्ष:दुराचार और यौन उत्पीड़न की पराकाष्ठा

विशेष लोक अभियोजक डी कृष्णन ने सजा पर बहस करते हुए कहा, मैं नहीं मानता कि ऐसे लोगों के सुधरने की कोई संभावना है.चारों दोषियों को फांसी की सजा होनी चाहिए. यह मामला ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है. दोषियों ने एक असहाय लड़की द्वारा जिंदगी के लिए प्रार्थना करने के बावजूद उससे बलात्कार किया व हत्या कर दी. कोई भी दोषी पीड़िता की दया पुकार से द्रवित नहीं हुआ. ऐसे में दया की गुंजाइश कैसे. वैसे भी लड़की की आंतों को जानबूझकर कर क्षति पहुंचाने का कृत्य सहानुभूति की कोई गुजाइंश नहीं छोड़ता. यह दुराचार और यौन उत्पीड़न की पराकाष्ठा है. इस मामले पर लोगों की नजरें हैं. दोषियों को कम सजा मिलती है, तो लोगों का न्यायिक प्रणाली पर से विश्वास उठेगा. साथ ही संदेश जायेगा कि इस तरह का विचलन बरदाश्त किया जायेगा. सजा जो उचित है वह मौत से कुछ भी कम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार यदि सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या हो तो इसकी सजा मृत्युदंड होनी चाहिए.


बचाव पक्ष:मौत की सजा न दें, मिले सुधरने का मौका

दोषी मुकेश, विनय कुमार, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर के वकीलों ने महात्मा गांधी के उस प्रसिद्ध उद्धरण को उद्धत करते हुए दोषियों पर नरमी बरतने की अपील की कि ‘केवल ईश्वर ही जीवन दे सकता है और उसके पास ही उसे लेने का अधिकार है.’ दोषी विनय और अक्षय के वकील एपी सिंह ने बेगुनाही का दावा करते हुए अदालत से पूछा कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह को फांसी देने से उनके पुत्र राजीव गांधी की हत्या रोकी जा सकी. दोषियों को सुधरने के लिए एक मौका देने का आग्रह किया. बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हत्यारे पैदाइशी नहीं होते,वे बनाये जाते हैं. दोषियों के लिए बहस शुरू करते हुए पवन के वकील विवेक शर्मा और सदाशिव गुप्ता ने कहा, पवन शराब के नशे में था. यह घटना तत्काल हुई. अपराध चौंकाने वाला हो सकता है लेकिन अपराधियों को मौत की सजा नहीं दी जानी चाहिए.

दोष हो चुका है सिद्ध
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को मुकेश(26), विनय कुमार(20), पवन गुप्ता(19)और अक्षय ठाकुर (28) को सामूहिक बलात्कार, हत्या, अप्राकृतिक सेक्स और डकैती तथा अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया था, जिसके लिए उन्हें मृत्यु दंड तक की सजा हो सकती है. मामले में एक आरोपी राम सिंह की मौत हो चुकी है, जबकि छठे किशोर आरोपी को तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजा जा चुका है.


दोषियों के वकील पर किया हमला

बुधवार को साकेत कोर्ट में चार दोषियों की सजा पर बहस पूरी होने के बाद दोषियों के वकील को कोर्ट परिसर के बाहर जमा हुई भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा. भीड़ ने वकील को घेर लिया. पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला.

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