Loading election data...

ऑनलाइन शिक्षा में मुश्किलों के कारण 43 प्रतिशत दिव्यांग छात्र छोड़ सकते हैं पढ़ाई : सर्वे

ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब 43 प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है.

By Agency | July 18, 2020 2:38 PM

ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब 43 प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है. दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, चेन्नई, सिक्किम, नगालैंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में यह सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों समेत कुल 3,627 लोगों ने भाग लिया.

सर्वेक्षण के अनुसार 56.5 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों को मुश्किलें आ रही हैं तब भी वे रोजाना कक्षाएं ले रहे हैं जबकि 77 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि वे दूरस्थ शिक्षा के तरीकों से वाकिफ नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. सर्वेक्षण में पाया गया कि 56.48 प्रतिशत छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख रहे हैं जबकि बाकी के 43.52 प्रतिशत छात्र पढ़ाई छोड़ने का मन बना रहे हैं. इसमें कहा गया है कि 39 प्रतिशत दृष्टिबाधित छात्र कई छात्रों के एक साथ बात करने के कारण विषयों को समझने में सक्षम नहीं हैं.

करीब 44 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों ने शिकायत की कि वेबीनार में सांकेतिक भाषा का कोई दुभाषिया मौजूद नहीं होता. 86 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि वे तकनीक का इस्तेमाल करना नहीं जानते और करीब 81 फीसदी शिक्षकों ने कहा कि उनके पास दिव्यांग छात्रों तक पहुंचाने के लिए शिक्षण सामग्री नहीं है.

सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘शिक्षकों ने यह भी कहा कि 64 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों के पास घर में स्मार्टफोन या कम्प्यूटर नहीं है. 67 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन शिक्षा के लिए टैब या कम्प्यूटर की आवश्यकता है. ” इसमें कहा गया है कि 74 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों ने कहा कि उन्हें पढ़ाई के लिए डेटा/वाईफाई की आवश्यकता है जबकि 61 प्रतिशत ने सहायक की आवश्यकता बताई.

सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में कोविड-19 वैश्विक महामारी के वक्त नीतिगत बदलावों और आवश्यक संशोधनों की सिफारिश की है. स्वाभिमान की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी श्रुति महापात्रा ने कहा कि सभी दिव्यांग बच्चों को एक समूह में नहीं रखा जा सकता क्योंकि उनमें अलग-अलग शारीरिक अक्षमताएं होती हैं और इसलिए उनकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा महामारी से दिव्यांग छात्र पीछे रह सकते हैं. अगर फौरन उचित कदम नहीं उठाए गए तो शिक्षा और जीवन जीने के उनके अधिकार को अपूर्णीय क्षति हो सकती है. ”

posted by : sameer oraon

Next Article

Exit mobile version