किरण बेदी ने कहा, त्वरित न्याय के लिए पीठ-बार को एक होना चाहिए

पणजी: पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कहा है कि यदि पीठ और बार एकसाथ आएं तो वे ठीक उसी तरह जनता को त्वरित न्याय दे सकते हैं, जैसे कि हाल ही में बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के मामले का निबटान किया गया. यहां जारी वूमन इकोनॉमिक फोरम से इतर बेदी ने कहा, ‘‘यह वही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2015 1:28 PM

पणजी: पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कहा है कि यदि पीठ और बार एकसाथ आएं तो वे ठीक उसी तरह जनता को त्वरित न्याय दे सकते हैं, जैसे कि हाल ही में बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के मामले का निबटान किया गया.

यहां जारी वूमन इकोनॉमिक फोरम से इतर बेदी ने कहा, ‘‘यह वही न्यायपालिका और वकील हैं, जिन्होंने इस केस को 13 साल तक लटकाए रखा और फिर इसे तीन दिन के भीतर निबटा दिया. वह (सलमान) गति और कानूनी अनुभव की कीमत अदा कर सके. आम आदमी इसके लिए भुगतान नहीं कर सकता और वह पीछे छूट जाता है. सवाल यह है कि यह सभी के लिए एकसमान क्यों नहीं होना चाहिए?’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि इस (सलमान मामले) मामले की त्वरित सुनवाई की जा सकती है तो सवाल यह है कि हमारे पास फास्ट ट्रैक उच्च न्यायालय क्यों नहीं हो सकते? इसके लिए न्यायिक या कानूनी व्यवस्था में सुधार की जरुरत है. यह वही कानूनी अनुभव है, जिसने मामले को 13 साल तक लटकाकर रख सका और फिर यही उसे तीन दिन से भी कम समय में बाहर निकाल सका.’’ बेदी ने कहा एक ही कानूनी व्यवस्था न्याय में देरी भी कर सकती है और उसमें तेजी भी ला सकती है.
बेदी ने कहा, ‘‘आप भारतीय न्याय प्रणाली को तब तक नहीं बदल सकते, जब तक की पीठ और बार ऐसा नहीं चाहते. यदि वे ऐसा चाहते हैं, तो वे जानते हैं कि किन गांठों को खोला जाना है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सवाल यह नहीं है कि यह सही है या गलत, सवाल यहां वास्तविकता का है. पीठ और बार को मिशन वाली स्थिति अपनानी चाहिए. वकील और न्यायाधीश जानते हैं कि देरी है क्या? पिछले 13 साल से पीठ और बार जानते थे कि चल क्या रहा है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘एकबार पीठ और बार एक साथ आ जाएं, तो इसी तरह की गति और गुणवत्ता आम आदमी को भी मिल सकेगी.
उन्हें एकसाथ मिलकर आगे आना चाहिए और तय करना चाहिए कि किन बदलावों की जरुरत है? वे अपनी मौजूदा स्थिति से बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं और तब वे देख सकते हैं कि किन अतिरिक्त चीजों की जरुरत है?’’ वर्ष 2002 के हिट-एंड-रन मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि आपने गौर किया हो तो, कीमत विशेषज्ञता की है.
जितनी बेहतर विशेषज्ञता, उतनी ही ज्यादा कीमत. आपके पास भुगतान की क्षमता है तो आपको नतीजे मिलते हैं.’’ बेदी ने आगे कहा, ‘‘सलमान एक बडे वकील की सेवाएं ले सके, जो कि एक आम आदमी की क्षमता से परे की बात है. कानूनी अनुभव की उच्च कीमत पर वे मामले को तेज चला सके. तात्कालिकता के लिए भी एक कीमत है.’’
हिट-एंड-रन मामले में दोषी ठहराए जाने के महज दो ही दिन बाद बंबई उच्च न्यायालय ने आठ मई को सलमान खान की दोषसिद्धि के खिलाफ दायर याचिका स्वीकार करते हुए खान को मिली पांच साल कैद की सजा को निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत दे दी थी.बेदी ने पहले कहा था कि जमानत से ऐसा संदेश गया है कि विशिष्ट लोग और अमीर लोग ‘‘सर्वश्रेष्ठ कानूनी मदद’’ के जरिए जेल जाने से बच सकते हैं.

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