नयी दिल्ली : खाद्य सुरक्षा विधेयक के आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए खर्च किये पैसे को वित्तीय संसाधनों की बर्बादी नहीं कहा जा सकता.राहुल ने कहा कि संसद में इस संबंध में पारित विधेयक का मकसद देश से भूख को दूर करना और लोगों को भोजन का अधिकार प्रदान करना है जो संप्रग सरकार की ओर से शुरु शिक्षा का अधिकार, महात्मा गांधी नरेगा कानून की अगली कड़ी है.
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘ क्या लोगों को भोजन उपलब्ध कराना धन की बर्बादी है? विपक्ष कह रहा है कि यह धन की बर्बादी है. हम चाहते हैं कि देश के लोग अपने पैरों पर खड़े हों.’’ राहुल गांधी दिल्ली में पुनस्र्थापित कालोनियों के निवासियों के पहले जत्थे को मालिकाना हक दिये जाने संबंधी दस्तावेज सौंपने के बाद एक समारोह को संबोधित कर रहे थे.
इस महत्वाकांक्षी विधेयक पर अमल के बाद देश के 82 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा जिसे कांग्रेस ने ‘गेमचेंजर’ बताया है. वहीं भाजपा ने इस विधेयक को चुनाव के मद्देनजर हथकंडा करार दिया है हालांकि पार्टी ने इसका समर्थन किया था.
संप्रग को बाहर से समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी समेत कुछ अन्य दलों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे राज्यों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. कारपोरेट जगत के एक वर्ग ने भी विधेयक की आलोचना की है. जबकि राहुल ने कहा, ‘‘ हम लोगों को अधिकार दे रहे हैं. अधिकार का मतलब विकास की गारंटी है. खाद्य सुरक्षा विधेयक के बाद देश में कोई भूखा नहीं रहेगा.’’