लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पेश, कालाधन विधेयक पास
नयी दिल्ली : कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के विरोध और वाकआउट के बीच सरकार ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया. कांग्रेस, तृणमूल, बीजद व वामदलों के सदस्यों ने विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए इसे पेश किये जाने का कड़ा विरोध किया. कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के विरोध और वाकआउट के बीच सरकार ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया. कांग्रेस, तृणमूल, बीजद व वामदलों के सदस्यों ने विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए इसे पेश किये जाने का कड़ा विरोध किया. कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि जब इस संबंध में विधेयक पहले से ही राज्यसभा में लंबित है, तो विधेयक कैसे पेश किया जा सकता है.
इसी बीच, स्पीकर सुमित्र महाजन ने कहा, ‘जिस बिल को पेश करने का प्रस्ताव है, उसके जैसा कोई विधेयक लोकसभा में लंबित नहीं है.’ इसके बाद उन्होंने बिल पेश करने को लेकर सदन की राय जाननी चाही. सदन की राय लिये जाने से पूर्व आक्रोशित कांग्रेस, तृणमूल, ‘आप’ तथा वामदलों के सदस्य सदन से वाकआउट कर गये.
इसके बाद ग्रामीण मामलों के मंत्री बीरेंद्र सिंह ने ‘भू-अर्जन, पुनर्वासन- पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर व पारदर्शिता अधिकार (संशोधन), दूसरा विधेयक 2015’ पेश किया. इससे पहले विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार आज इस विधेयक को पारित नहीं कराने जा रही है. आज केवल पेश किया जा रहा है. उन्होंने विपक्षी सदस्यों के कड़े विरोध को खारिज करते हुए कहा कि यह ‘किसान हितैषी’ विधेयक है.
इससे पूर्व, विधेयक को किसानों के हितों के खिलाफ बताते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों और कॉरपोरेट के हितों के लिए काम कर रही है.
यूपीए ने जल्दबाजी में पास किया भूमि बिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद में जल्दबाजी में पारित कराया और भाजपा भी इसे समर्थन देने की दोषी है. संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर जारी खींचतान के बीच मोदी ने कहा, ‘आपको इसके इतिहास को समझना होगा. भूमि अधिग्रहण विधेयक पर 120 वर्ष बाद विचार किया जा रहा है. क्या इतने पुराने विधेयक पर विचार के लिए 120 घंटे भी दिये गये? नहीं. ऐसा नहीं है कि इसके लिए सिर्फ कांग्रेस जिम्मेदार है. भाजपा के नाते हम भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि हमने इसका समर्थन किया.’ मोदी ने एक दैनिक समाचार पत्र को दिये इंटरव्यू में कहा, ‘चुनाव सिर पर थे और संसद का सत्र पूरा होना था. इसीलिए जल्दबाजी में फैसला किया गया. बाद में, प्रत्येक राज्य ने महसूस किया कि यह तो बड़ा संकट है. मुङो सरकार बनने के बाद करीब करीब सभी मुख्यमंत्रियों ने बात कही कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को ठीक करना पड़ेगा, वर्ना हम काम नहीं कर पायेंगे. हमारे पास लिखित चिट्ठियां हैं.’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि भूमि अधिग्रहण पर कांग्रेस आक्रामक है, जिससे लगता है कि सरकार की तरफ से कहीं कोई कमी रह गयी. मोदी ने आरोप लगाया कि निहित स्वार्थो के कारण विधेयक में परिवर्तनों को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है.
कालाधन विधेयक पास
नयी दिल्ली : विदेशों में रखे कालेधन की समस्या से निबटने के लिए भारी जुर्माना और आपराधिक मुकदमे की कार्रवाई के प्रावधानवाले विधेयक को सोमवार को लोकसभा ने मंजूरी दे दी. सरकार ने इन आशंकाओं को खारिज किया कि प्रस्तावित सख्त प्रावधानों से भोले-भाले लोगों को प्रताड़ित किया जा सकता है.
अघोषित विदेशी आय और आस्ति (कर अधिरोपण) विधेयक 2015 पर चर्चा का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जिन लोगों की विदेशों में अघोषित आय है, उन्हें कानून के अनुपालन के लिए थोड़ा समय दिया जायेगा. हालांकि, इसके तहत भी उन्हें घोषित आय पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत जुर्माना भरना होगा. जेटली ने कहा कि अनुपालन का समय समाप्त होने के बाद जिस किसी के पास भी अघोषित विदेशी संपत्ति पायी जायेगी, उन्हें ऐसी संपत्ति पर 30 प्रतिशत की दर से कर और 90 प्रतिशत की दर से जुर्माना देना होगा. साथ ही उस पर आपराधिक कार्रवाई भी की जायेगी.
जेटली के जवाब के बाद सदन ने कालेधन से जुड़े इस विधेयक को मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री ने कहा कि जो लोग कालाधन मामले में पाक साफ होना चाहते हैं, उनके लिए दो हिस्सों में अनुपालन का मौका उपलब्ध होगा, जिसके तहत वह संपत्ति की घोषणा कर सकेंगे और उस पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत का जुर्माना चुका सकेंगे. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, विदेशों में रखी अघोषित संपत्ति की जानकारी देने के लिए दो महीने की अनुपालन सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है और छह माह के भीतर संबंधित व्यक्ति को कर और जुर्माने का भुगतान करना होगा.
महत्वपूर्ण प्रावधान
सजा, जुर्माना : विदेशी आय से टैक्स चोरी के प्रयास पर तीन से 10 वर्ष तक कैद या कैद के साथ 25 लाख से एक करोड़ रुपये तक जुर्माना
इनका संरक्षण : अनजाने में विदेशी खातों में मामूली रकम रखनेवालों को संरक्षण दिया जायेगा. करदाताओं के हितों की सुरक्षा की जायेगी और वे आइटीएटी, हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकेंगे.
टैक्स अफसरों को अधिकार : जांच, तलाशी, सम्मन, उपस्थिति दर्ज कराने, साक्ष्य पेश करने के अधिकार
अन्य देशों से समझौता : सरकार को अन्य देशों से समझौता करने या सूचना का आदान-प्रदान करने, कर वसूलने और दोहरा कराधान को रोकने की शक्ति प्रदान की गयी है.
नहीं चलेगा केस : शर्तो को पूरा करने पर किसी व्यक्ति के खिलाफ इस प्रस्तावित विधेयक के तहत मुकदमा नहीं चलाया जायेगा.
विधेयक का कोई फायदा नहीं : कांग्रेस
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बिल का कांग्रेस समर्थन कर रही है, क्योंकि वह ‘जनता और 15 लाख रुपये के बीच अड़ंगा’ की आरोपी नहीं बनना चाहती. हुड्डा ने कहा, ‘हमारी आशंका है कि यह पूरी तरह प्रभावकारी नहीं है. यह बहुत से करदाताओं, कानून का पालन करनेवालों के लिए काफी परेशानियां पैदा करेगा. इस विधेयक का कोई फायदा नहीं होगा.’
बिल का समर्थन करें सभी विपक्षी दल : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 11 महीने से आप पूछ रहे थे कि हम क्या कर रहे हैं. मैं कदम उठा रहा हूं. आप समर्थन करें और बिल को स्थायी समिति को भेजने की मांग वापस लें. गैर कानूनी कोषों को लैपटॉप पर बैठ कर कोई भी 120-150 देशों को ट्रांसफर कर सकता है. इसे रोकने के लिए हमें तत्काल कदम उठाना चाहिए. सो कानून को तत्काल पारित किया जाना चाहिए.