हैदराबाद में पर्यावरण के अनुकूल गणपति उत्सव के लिए चलाया गया अभियान
हैदराबाद : हैदराबाद में अधिकारियों ने दस दिन के गणेश उत्सव के दौरान शहर के जलाशयों खासकर खूबसूरत हुसैन सागर झील को प्रदूषण से बचाने के लिए मिट्टी की प्रतिमाओं को बढ़ावा देने का अभियान चलाया है.हैदराबाद के मध्य में स्थित हुसैन सागर झील शहर की पेयजल एवं कृषि संबंधी जरुरत पूरी करने के लिए […]
हैदराबाद : हैदराबाद में अधिकारियों ने दस दिन के गणेश उत्सव के दौरान शहर के जलाशयों खासकर खूबसूरत हुसैन सागर झील को प्रदूषण से बचाने के लिए मिट्टी की प्रतिमाओं को बढ़ावा देने का अभियान चलाया है.हैदराबाद के मध्य में स्थित हुसैन सागर झील शहर की पेयजल एवं कृषि संबंधी जरुरत पूरी करने के लिए वर्ष 1562 में तैयार की गई थी। अब यह शहर का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन गई है.
घरों के गंदे पानी के नाले और औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों के कारण, कभी शहर का गौरव कहलाने वाली यह झील प्रदूषित हो गई है और अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है.
हर साल यहां प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी और रसायनिक रंगों वाली अलग अलग आकार की गणेश प्रतिमाओं का बड़ी संख्या में विसजर्न किया जाता है जिसकी वजह से झील का पानी प्रदूषित होता है.इसे देखते हुए हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण :एचएमडीए: ने हुसैन सागर में जल प्रदूषण कम करने के लिए अभियान चलाया है.सोमवार से पूरा शहर 10 दिवसीय गणेशोत्सव के आनंद में डूबा हुआ है.
एमएचडीए के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने छोटे आकार की गणेश प्रतिमाओं और उनके स्थानीय एवं घरेलू स्तर पर विसजर्न पर ध्यान केंद्रित किया हुआ है.मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का आकार 8 इंच से तीन फुट तक है. ये प्रतिमाएं सब्सिडीयुक्त दाम पर उपलब्ध हैं और श्रद्धालुओं से ऑनलाइन रजिस्टर करने के लिए कहा गया है.अधिकारियों ने बताया कि एचएमडीए ने शहर में पार्को, स्कूलों और रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन वाले इलाकों सहित 25 वितरण केंद्र स्थापित किए हैं.गणेश प्रतिमाओं के लिए नुकसानदायक रसायनिक रंगों के बजाय प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. मिट्टी की गणेश प्रतिमा के लिए चलाए जा रहे अभियान के नतीजे का आकलन करने के लिए एचएमडीए ने इस साल अपार्टमेंट और घरों में पंजीकरण पत्र भी भेजे हैं.कुल 370 करोड़ रुपये की लागत से एचएमडीए हुसैन सागर झील और ‘कैचमेंट एरिया इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट’ :एचसीआईपी: को भी कार्यान्वित कर रहा है ताकि झील के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो.अधिकारियों ने बताया कि परियोजना के तहत दो जलशोधक संयंत्र लगाने का काम पूरा हो गया है और झील में 50 एमएलडी शोधित पानी छोड़ा जा रहा है.