नये कंपनी कानून में रिश्तेदार के तौर पर बहू शामिल, भाभी बाहर

नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग के परिचालन और नियमन के लिए बने नए कंपनी कानून के तहत कार्पोरेट कामकाज के मानदंड के संबंध में रिश्तेदार की परिभाषा बदल जाएगी.प्रस्तावित परिभाषा के तहत बेटे की पत्नी और सौतेले पिता को उन रिश्तेदारों की सूची में शामिल किया गया जिन्हें निदेशक मंडल की नियुक्ति, लाभ के पद, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2013 3:29 PM

नयी दिल्ली : भारतीय उद्योग के परिचालन और नियमन के लिए बने नए कंपनी कानून के तहत कार्पोरेट कामकाज के मानदंड के संबंध में रिश्तेदार की परिभाषा बदल जाएगी.प्रस्तावित परिभाषा के तहत बेटे की पत्नी और सौतेले पिता को उन रिश्तेदारों की सूची में शामिल किया गया जिन्हें निदेशक मंडल की नियुक्ति, लाभ के पद, कारोबार के हस्तांतरण समेत विभिन्न मामलों में संबंधित पक्ष माना जाएगा.

साथ ही पोते-पोती के पति-पत्नी, साले-जीजा, साली-भाभी के साथ साथ बेटी की तरफ के नाती-नातिन को नए कंपनी कानून के विभिन्न प्रावधानों में रिश्तेदार की सूची से बाहर निकाल दिया गया है.

अविभाजित परिवार के सभी सदस्यों को संबंधित पक्ष मानकर बरकरार रखा जाएगा चाहे उनके संबंधों का वास्तविक स्वरुप जो भी हो. कार्पोरेट संचालन नियमों के लिए रिश्तेदार की परिभाषा का बहुत महत्व है. कंपनियों को निदेशक मंडल में अपने शीर्ष कार्यकारियों के रिश्तेदारों को स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्त करने की अनुमति नहीं है. साथ ही ऐसे किसी व्यक्ति के साथ कारोबार करने में अपने संबंध का खुलासा करना आवश्यक है.

Next Article

Exit mobile version