जातीय संघर्ष क्या साम्प्रदायिक संघर्ष से बेहतर हैं? : मुलायम
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर और उसके आस पास फैली साम्प्रदायिक हिंसा को ‘जातीय संघर्ष’ बताए जाने संबंधी मुलायम सिंह यादव के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा ने आज कहा कि सपा प्रमुख ऐसा कह रहे हैं मानो जातीय संघर्ष साम्प्रदायिक संघर्ष से बेहतर चीज है. भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सिंह […]
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फनगर और उसके आस पास फैली साम्प्रदायिक हिंसा को ‘जातीय संघर्ष’ बताए जाने संबंधी मुलायम सिंह यादव के बयान की आलोचना करते हुए भाजपा ने आज कहा कि सपा प्रमुख ऐसा कह रहे हैं मानो जातीय संघर्ष साम्प्रदायिक संघर्ष से बेहतर चीज है.
भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सिंह की इस टिप्पणी की आलोचना करने के साथ ही उनके द्वारा उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की बैठक बुलाए जाने पर भी सवाल उठाए. त्रिवेदी ने कहा, ‘‘यह समाचार है कि मुलायम सिंह ने स्वयं अधिकारियों की बैठक की है. यह बात न सिर्फ यह प्रमाणित करती है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रशासनिक नियंत्रण में पूर्णत: असफल हो चुके हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि सपा प्रमुख ने किस हैसियत से अधिकारियों की यह बैठक बुलाई? यह संवैधानिक दृष्टि से भी एक प्रश्न चिह्न है. यह इस बात को प्रमाणित करता है कि उत्तर प्रदेश में कानून एवं संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है.’’
उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक सदभाव को बनाने में अपनी असफलता को स्वीकार करने की बजाय प्रदेश और केंद्र दोनों की सरकारें भाजपा पर तथ्यहीन और मिथ्या आरोप लगाकर अपने अपने पक्ष में अल्पसंख्यक समुदाय में भय उत्पन्न करके उसका ध्रुवीकरण करने में लगे हुए हैं.’’