नरेंद्र मोदी ने टैराकोटा वारियर्स संग्रहालय का किया भ्रमण, जानें यहां की कुछ खास बातें

नयी दिल्ली/बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चीन की यात्रा के पहले आधिकारिक कार्यक्रम के तहत आज टैराकोटा वारियर्स संग्रहालय का भ्रमण किया. यह संग्रहालय शांक्सी प्रांत में स्थित है. यह पुरातन शहर चीनी और बौद्ध संस्कृति से ओत-प्रोत है. गौरतलब है कि जब चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आये थे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2015 12:58 PM

नयी दिल्ली/बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चीन की यात्रा के पहले आधिकारिक कार्यक्रम के तहत आज टैराकोटा वारियर्स संग्रहालय का भ्रमण किया. यह संग्रहालय शांक्सी प्रांत में स्थित है. यह पुरातन शहर चीनी और बौद्ध संस्कृति से ओत-प्रोत है. गौरतलब है कि जब चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आये थे तो उन्हें प्रधानमंत्री राजघाट ले गये थे जहां शी जिनपिंग ने महात्मा गांधी की मूर्ति पर पुष्‍पांजलि अर्पित की थी.

टैराकोटा वारियर्स संग्रहालय में देश को एकीकृत करने वाले चीन के पहले बादशाह की कब्र चीनी इतिहास का सबसे बडा मकबरा है. यह मकबरा एक सार्वभौमिक महत्व वाली घटना से जुडा है. वह घटना चीनी क्षेत्र को एक केंद्रीकृत राज्य द्वारा पहली बार एकीकृत किए जाने की है. इस केंद्रीकृत राज्य का गठन एक स्वच्छंद शासक ने 221 ईसा पूर्व में किया था. किन ने ही पहली बार चीन में मकबरों के एक शहर का निर्माण करवाया. इस शहर का निर्माण वहां ताबूत चैंबरों को बनाने के लिए किया गया था. पहले बादशाह ने मकबरे के मालिक के साथ जिंदा दफनाए जाने वाले लोगों के लिए व्यापक स्तर पर चैंबरों के निर्माण की भी रस्म शुरू की.

टैराकोटा मूर्तियां एक तरह की अंत्येष्टि संबंधी कलाकृतियां है, जिन्हें बादशाह के साथ दफनाया जाता है. इनका उद्देश्य बादशाह के निधन के बाद के जीवन में उनकी सुरक्षा करना था. वैज्ञानिकों का आकलन है कि तीन अलग-अलग गड्ढों में लगभग 8,000 योद्धा हैं और इनमें से कई जमीन के नीचे दबे हुए हैं. इनके साथ 130 रथ, 520 घोडे और 150 युद्धक घोडे भी हैं. इनकी उंचाई इनकी भूमिकाओं के अनुसार, भिन्न-भिन्न हैं. सबसे लंबी उंचाई वाले जनरल हैं और इनके साथ रथ एवं घोडे भी होते हैं.

टैराकोटा से बनी अन्य असैन्य कलाकृतियां भी गड्ढों में पाई गई हैं और इनमें अधिकारी, नट, पहलवान और संगीतकार शामिल हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सेना को बनाने में लगभग सात लाख कर्मचारी लगे थे. संग्रहालय के बाद मोदी दा शिंग शान मंदिर भी गए. वहां उन्होंने कुछ समय बिताया और प्रार्थना की. यह चीनी बौद्ध धर्म के एम आई स्कूल (वज्रायन) का प्राचीन दरबार है.

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