भंडाफोड करने वाले का कार्य जनहित में होना चाहिए: न्यायालय

नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि यदि कोई व्यक्ति ऐसा दस्तावेज हासिल करता है जिसे सीबीआई जैसी एजेंसियों द्वारा ‘‘सावधानीपूर्वक रखा जाना है’’ तो ऐसे ‘‘भंडाफोड करने वाले’’ को तब गलत नहीं ठहराया जा सकता जब उसने कदम जनहित में उठाया है. न्यायमूर्ति एम बी लोकुर के नेतृत्व वाली पीठ ने यह बात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2015 2:40 AM

नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि यदि कोई व्यक्ति ऐसा दस्तावेज हासिल करता है जिसे सीबीआई जैसी एजेंसियों द्वारा ‘‘सावधानीपूर्वक रखा जाना है’’ तो ऐसे ‘‘भंडाफोड करने वाले’’ को तब गलत नहीं ठहराया जा सकता जब उसने कदम जनहित में उठाया है.

न्यायमूर्ति एम बी लोकुर के नेतृत्व वाली पीठ ने यह बात पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की दलीलें खारिज करते हुए कही जिसमें उन्होंने एनजीओ ‘कॉमन कॉज’, उसके अधिकारी एवं वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोयला घोटाला जांच का आधिकारिक नोट रिकार्ड में लाने के लिए शपथ लेकर झूठी गवाही देने के लिए मामला शुरु करने की मांग की थी.
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सिकरी वाली पीठ ने कहा, ‘‘यह सच है कि इस न्यायालय ने आठ मई 2013 के अपने आदेश से सीबीआई निदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि कोयला घोटाला ब्लॉक आवंटन की जांच की गोपनीयता बरकरार रहे.’’ पीठ ने कहा, ‘‘यदि कोई ऐसा दस्तावेज हासिल कर लेता है जिसे सीबीआई द्वारा सावधानीपूर्वक रखा जाना है तब ऐसे भंडाफोड करने वाले की गलती निकालना मुश्किल है, विशेष तौर पर तब जब उसका कार्य जनहित में हो.’’
पीठ ने कहा कि यदि भंडाफोड करने वाला ऐसे दस्तावेज का इस्तेमाल किसी ऐसे उद्देश्य के लिए करता है जो उपद्रवी या जनहित को नुकसान पहुंचाने वाला है’’ तब अदालत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है यदि उसकी पहचान हो गई हो.’’ पीठ ने कहा कि यद्यपि वर्तमान मामला ऐसी श्रेणी का नहीं है. भंडाफोड करने वाले ने कथित तौर जनहित में उस चीज को सामने लाने का प्रयास किया जिसे वह मानता है कि रंजीत सिन्हा ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया.

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