दंगा प्रभावित इलाकों को नियत्रंण में लें: कोर्ट
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा पर काबू पाने के लिये केंद्र की मदद से तत्काल आवश्यक कदम उठाने और इस क्षेत्र में फंसे लागों को सुरक्षित निकालने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दंगा प्रभावित इलाकों की स्थिति की गंभीरता पर […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा पर काबू पाने के लिये केंद्र की मदद से तत्काल आवश्यक कदम उठाने और इस क्षेत्र में फंसे लागों को सुरक्षित निकालने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया.
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दंगा प्रभावित इलाकों की स्थिति की गंभीरता पर संज्ञान लेते हुये इस मामले में फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं करने का उत्तर प्रदेश सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया. न्यायालय ने मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के बारे में वकीलों के एक समूह द्वारा पेश तथ्यों के आलोक में यह आदेश दिया. इन वकीलों के परिजन इस दंगे से प्रभावित हैं. इन दंगों में अब तक 44 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है. न्यायाधीशों ने दंगा प्रभावित जिलों में कानून व्यवस्था के मसले पर केंद्र सरकार को शामिल करने के अखिलेश यादव सरकार के प्रतिरोध को दरकिनार कर दिया.
न्यायाधीशों ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को 16 सितंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुये कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि इस अदालत को इस पहलू पर गौर करना होगा. हम पहली नजर में ही इन याचिकाओं को खारिज नहीं कर सकते हैं.’’ न्यायालय ने राज्य सरकार और केंद्र को निर्देश दिया कि प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिये तत्काल कदम उठाये जायें. न्यायालय ने प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता मुहैया करायी जाये.
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने इस मामले में शीर्ष अदालत से तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हुये कहा कि प्रदेश के पश्चिमी जिलों में स्थिति बहुत गंभीर है और उग्र भीड़ ने अनेक धार्मिक स्थलों, दुकानों तथा मकानों को आग लगा दी है तथा राज्य सरकार स्थिति पर काबू पाने में असफल रही है.