मोहन भागवत से राजनाथ सिंह की दो घंटे लंबी चली गुफ्तगू का असर सरकार व भाजपा संगठन पर दिखना तय

नागपुर/नयी दिल्ली :केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह की गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से बंद कमरे में हुई मुलाकात को भाजपा की भावी राजनीति और सरकार के दूसरे वर्ष की दशा-दिशा तय करने के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. राजनाथ ने संघ प्रमुख के साथ राष्ट्रीय राजनीतिक हालात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2015 3:26 PM
नागपुर/नयी दिल्ली :केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह की गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से बंद कमरे में हुई मुलाकात को भाजपा की भावी राजनीति और सरकार के दूसरे वर्ष की दशा-दिशा तय करने के मद्देनजर अहम माना जा रहा है. राजनाथ ने संघ प्रमुख के साथ राष्ट्रीय राजनीतिक हालात पर नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में लगभग दो घंटे लंबी चर्चा की. उन्होंने संघ प्रमुख को जहां सरकार के कार्यक्रमों से अवगत कराया, वहीं संघ प्रमुख ने उन्हें सरकार व संगठन के मद्देनजर अहम दिशा निर्देश भी दिये. दोनों नेताओं के बीच सरकार व परिवार के विभिन्न संगठनों के बीच बेहतर तालमेल पर भी चर्चा हुई.
दोनों नेताओं की यह मुलाकात इस लिये अहम है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के चुनाव जीते एक साल पूरा हो चुका है और सरकार अगले पखवाडे अपनी पहली वर्षगांठ भी मनाने वाली है. भाजपा व उसके नेतृत्व वाली सरकार अपनी उपलब्धियों का जन बखान करने के लिए देश भर में कार्यक्रम व रैली करने की भी तैयारी में है.
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, खुदरा कारोबार में एफडीआइ, राम मंदिर निर्माण जैसे ऐसे अहम मुद्दे हैं, जिस पर मोदी सरकार के स्टैंड से संघ परिवार के विभिन्न धडे सहमत नहीं हैं. उन्हें लगता है कि सरकार के इन मुद्दों पर कठोर रुख से उनका जनसमर्थन छिज सकता है. जैसे, भूमि अध्यादेश पर पूर्व में संघ की किसान शाखा भारतीय किसान संघ असहमति जता चुका है, जबकि संत समाज ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में असमर्थता जताने संबंधी राजनाथ सिंह के बयान पर असंतोष व नाराजगी जतायी थी. राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य राम विलास वेदांती भी कह चुके हैं कि राजनाथ के बयान से संत नाराज हैं. वहीं, स्वदेशी जागरण मंच खुदरा में विदेशी निवेश से वैचारिक रूप से कभी सहमत नहीं रहा है.
इस बीच मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण बिल को संयुक्त समिति को, जबकि जीएसटी बिल को संयुक्त समिति को भेज दिया. नरेंद्र मोदी सरकार देश में सुधारों को रफ्तार देने के लिए इन दोनों को बिल को पारित करवाने को अहम मानती है. ये ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जिस पर संघ परिवार व सरकार के बीच एक आम सहमति आवश्यक है. सूत्रों का कहना है कि इन मुद्दों पर भी संघ प्रमुख ने राजनाथ सिंह से वार्ता की है.

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