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सुनंदा पुष्कर मामले में गवाहों का पॉलीग्राफ जांच कराना चाहती है दिल्ली पुलिस

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने आज कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने कुछ सबूतों के सत्यापन के लिए तीन प्रमुख गवाहों के लाई डिटेक्टर जांच की मांग की है. ऐसे संकेत हैं कि कई गवाहों से इस जांच से गुजरने के लिए कहा जा सकता […]

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने आज कहा कि सुनंदा पुष्कर की मौत मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने कुछ सबूतों के सत्यापन के लिए तीन प्रमुख गवाहों के लाई डिटेक्टर जांच की मांग की है. ऐसे संकेत हैं कि कई गवाहों से इस जांच से गुजरने के लिए कहा जा सकता है. दिल्ली पुलिस ने सुनंदा के पति एवं कांग्रेस सांसद शशि थरूर के घेरलू सहायक नारायण सिंह, ड्राइवर बजरंगी और पारिवारिक दोस्त संजय दीवान की पॉलीग्राफ जांच कराने को लेकर अनुमति के लिए अदालत का रुख किया है.

सुनंदा मामले में इन तीन संदिग्धों की पॉलीग्राफ जांच की मांग वाली पुलिस की याचिका पर एक स्थानीय अदालत बुधवार को सुनवाई करेगी. पुलिस ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुनील कुमार शर्मा के समक्ष आवेदन दायर किया और न्यायाधीश ने इस पर सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख मुकर्रर कर दी. जांच के दौरान नारायण, बजरंगी और दीवान सहित कई लोगों से पूछताछ की गई क्योंकि ये लोग थरूर और सुनंदा के काफी निकट थे तथा सुनंदा की मौत से ठीक पहले होटल लीला पैलेस में मौजूद थे. यह पूछे जाने पर कि क्या जांच अधिकारी इस मामले में थरुर की पॉलीग्राफ जांच कराने की योजना बना रहे हैं तो बस्सी ने कहा कि वह अटकल नहीं लगाना चाहते.

बस्सी ने कहा, जांच कार्य योजना के अनुसार की गई है. जांच अधिकारी अपने सबूत की समीक्षा करते रहते हैं और जब कभी जरूरी होता है तो ऐसा किया जाता है. फिलहाल इस मोड पर मैं (थरूर के बारे में) अटकल नहीं लगाना चाहूंगा लेकिन इसमें बहुत कुछ पढने की जरुरत नहीं है. इस मामले में थरुर से तीन बार पूछताछ की गई है. सुनंदा पिछले साल 17 जनवरी को होटल लीला पैलेस में मृत पाई गई थीं.
इससे पहले ट्विटर पर उनकी पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के साथ तकरार हुई थी. बस्सी ने कहा कि जांच अधिकारी यह जानने के लिए संघीय जांच ब्यूरो से रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि सुनंदा के शरीर में किस तरह का जहर पाया गया था. सुनंदा का विसरा नमूना इसी साल फरवरी में वाशिंगटन स्थित एफबीआई की प्रयोगशाला में भेजा गया था, क्योंकि एम्स के चिकित्सकों के एक पैनल ने कहा था कि जहर की पहचान भारतीय प्रयोगशालाओं में नहीं हो सकती.
जांच से जुडे सूत्रों ने कहा कि एक बार जब इन तीनों की पॉलीग्राफ जांच हो जाती है तो पुलिस दूसरे करीब 12 गवाहों की भी इसी तरह की जांच की मांग कर सकती है. दिल्ली पुलिस आयुक्त ने इस पूरे घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए कहा कि पॉलीग्राफ जांच के मुद्दे में बहुत कुछ पढने की जरुरत नहीं है. बस्सी ने कहा, अगर सबूत की पुष्टि के लिए पॉलीग्राफ की जरूरत होती है तो इसे किया जा सकता है.
इस मामले में जांच अधिकारी को लगा कि पॉलीग्राफ के जरिए कुछ सबूत की जरुरत है. इसलिए इसमें कोई बडी बात नहीं है. इसी साल जनवरी में पुलिस ने दावा किया था कि सुनंदा को जहर दिया गया था और अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था.

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