नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने को लेकर पैदा गतिरोध आज उस समय और बढ गया जब आप प्रमुख ने कहा कि वह गैमलिन पर नजर रखेंगे. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार चाहती है कि उनकी सरकार नाकाम हो जाए.
गैमलिन पर बिजली कंपनियों का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार सुनिश्चित करेगी कि अगले 10 दिन गैमलिन के कार्यालय जाने वाली हर फाइल उनके पास से होकर जाए. कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति पर सत्तारुढ आप और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच गतिरोध कल बढ गया था जब केजरीवाल ने जंग से संविधान के दायरे में काम करने के लिए कहा और उन पर प्रशासन पर नियंत्रण संभालने का प्रयास करने का आरोप लगाया.
केंद्र भी इस विवाद में कूदा और गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने आप सरकार पर दिल्ली के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया और पूछा कि क्या दिल्ली सरकार दिल्ली में अराजकता लाने की कोशिश कर रही है. उत्तरी दिल्ली के बुराडी में अपनी जनसभा आटो संवाद में केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार की आपत्तियों के बावजूद गैमलिन को दिल्ली का मुख्य सचिव बना दिया गया.
उन्होंने आरोप लगाया, हमने मुख्य सचिव (गैमलिन) की नियुक्ति का विरोध किया लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया. हम बीते चार दिन से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार दिल्ली सरकार को नाकाम बनाना चाहती है. उन्होंने कहा, यह संदेह पैदा करता है कि वे (भाजपा नीत केंद्र सरकार) दस दिन में कुछ गलत करेंगे लेकिन मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि मैं उन (गैमलिन) पर नजर रखूंगा और हर फाइल मेरे पास से होकर जाएगी. केजरीवाल ने दावा किया कि वह चाहती थीं कि सरकार ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करे जिससे इन फर्मों को 11 हजार करोड़ रुपये मिलते.
उन्होंने कहा, जब हमारी सरकार बनी थी, वह एक पत्र पर हस्ताक्षर कराने हमारे बिजली मंत्री के पास यह कहते हुए आई थीं कि रिलायंस की मालिकाना हक वाली बिजली कंपनियों ने 11 हजार करोड रुपये के रिण के लिए आवेदन किया है. वह चाहती थीं कि मंत्री दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दें और कहा कि यह केवल औपचारिकता है.
उन्होंने कहा, जब हमारे मंत्री ने इस पत्र की जांच की तो यह गारंटी पत्र निकला. अगर रिलायंस की मालिकाना कंपनियां ऋण भरने में नाकाम रहती तो बोझ जनता पर आता और दिल्ली में दरें दो तीन गुना बढ जातीं. रिजिजू ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा नियमों के तहत अधिकारी की नियुक्ति हुई और दिल्ली सरकार बिना किसी सबूत के उनके खिलाफ आरोप लगा रही है. विवाद के बीच, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि अगर उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कोई समन्वय नहीं होगा तो गतिरोध का माहौल पैदा होगा.