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जिला अदालतों में 4.41 करोड़ केस पेंडिंग, कानून मंत्री ने दिया जवाब, कहा- SC ने 2183 मामले सुने और निपटाए

15 जुलाई 2023 तक देश भर की जिला अदालतों में करीब 4.41 करोड़ दीवानी और आपराधिक केस लंबित हैं. सबसे ज्यादा केस यूपी में लंबित है. यहां 1866208 दीवानी मामले और फौजदारी मामलों की संख्या 9743124 है. सबसे कम मामलों की बात की जाये तो लद्दाख में दीवानी और फौजदारी मामलों की संख्या सबसे कम है.

Case Pending in Indian Court: 15 जुलाई 2023 तक देश भर की जिला अदालतों में करीब 4.41 करोड़ दीवानी और आपराधिक मामलों से संबंधित केस लंबित हैं. लोकसभा में उठाए गए एक सवाल पर केंद्रीय कानून मंत्रालय की ओर से यह जवाब दिया गया है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्य सभा में पेंडिंग केस को लेकर उठे सवाल के जवाब में कहा कि देश में 15 जुलाई 2023 तक जिला अदालतों में करीब 4.41 करोड़ दीवानी और आपराधिक केस लंबित हैं. सबसे ज्यादा केस उत्तर प्रदेश में लंबित है. प्रदेश में 1866208 दीवानी मामले दर्ज हैं, जबकि फौजदारी मामलों की संख्या 9743124 है. इन दोनों केस को मिलाकर कुल मामलों की संख्या 11609332 हो जाती है, जो पूरे देश में सबसे ज्यादा है. यूपी के बाद सबसे ज्यादा लंबित मामलों वाला राज्य महाराष्ट्र है.  जहां 1921800 दीवानी मामले दर्ज हैं. जबकि, 3485391 फौजदारी मामले पेंडिंग है. वहीं, सबसे कम मामलों की बात की जाये तो लद्दाख में दीवानी और फौजदारी मामलों की संख्या सबसे कम है. लद्दाख में दीवानी मामलों के 627 और फौजदारी मामलों को 579 केस लंबित हैं. कुल मिलाकर इनकी संख्या 1206 हो जाती है.

देश के उच्च न्यायालयों में 71,204 मामले लंबित- सरकार
वहीं, देश के उच्च न्यायालयों में  बीते 30 सालों से 71204 मामले लंबित हैं जबकि जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में यह संख्या 101837 है. गौरतलब है कि लोकसभा में मनोज तिवारी, राहुल कस्वां, गुमान सिंह दामोर, संघमित्रा मौर्य, अरविंद सावंत, राजेश नारणभाई चुडासमा, ओम पवन राजेनिंबालकर, डा. निशिकांत दुबे, विनायक राउत, संजय जाधव, एस ज्ञानतिरावियम और लाबू श्रीकृष्णा के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी दी. इन सदस्यों ने विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी.

कितने साल से लंबित हैं मामलेः- विधि एवं न्याय मंत्री मेघवाल ने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि…

  • हाई कोर्ट में 71204 मामले 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं.

  • 217010 मामले 20 से 30 सालों से पेंडिंग पड़े हैं.

  • 111847 मामले 15 वर्ष से लंबित हैं

  • और 183146 मामले 10 साल से लंबित हैं.

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में

  • 30 साल से अधिक समय से 1 01 837 मामले लंबित हैं

  • वहीं, 520588 मामले 20 से 30 सालों से लंबित हैं.

  • 309792 मामले 15 वर्ष से पेंडिंग है

  • 873587 मामले 10 साल से लंबित हैं.

5 करोड़ का पार कर गया आंकड़ा
गौरतलब है कि केंद्रीय कानून मंत्री ने 20 जुलाई को संसद के उच्च सदन को बताया था कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गया हैं. मेघवाल ने कहा था कि विभिन्न अदालतों- उच्चतम न्यायालय, 25 उच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतों में 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं. मेघवाल ने बताया कि न्यायालयों मे लंबित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का विषय है और अदालतों में मुकदमों के निपटारे में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है.

73 सालों में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने 2183 मामले सुने और निपटाए
वहीं, सरकार की ओर से लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा गया कि साल 1950 से अब तक करीब 73 सालों में सुप्रीम कोर्ट  की संविधान पीठों ने 2183 मामले सुने और उनका निपटारा किया. सरकार ने यह भी कहा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के पास फैसला करने के लिए संविधान न्यायपीठ संबंधी 29 मामले लंबित हैं, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय को फैसला सुनाना है.

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बता दें, लोकसभा में माकपा के एएम आरिफ के सवाल पर विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लिखित रूप से यह जानकारी दी है. मेघवाल ने उच्चतम न्यायालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि साल 1950 से 2023 तक उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठों की ओर से सुने गए और निपटाए गए मामलों की कुल संख्या 2183 है. सरकार की ओर से सदन में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 1950 से 59 तक संविधान पीठों की ओर से सुने गए और निपटाए गए मामलों की संख्या 440 थी जबकि वर्ष 1960-69 तक यह संख्या बढ़कर 956 हो गई. इसके बाद साल 1970 से 79 के बीच यह संख्या 292 और साल 1980 से 89 के दौरान यह संख्या 110 दर्ज की गई.
भाषा इनपुट से साभार

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