निशंक ने बहुगुणा से इस्तीफा मांगा
देहरादून : आपदा में सुरक्षित बच गये मकानों में खुले आम डकैती डाले जाने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से इस्तीफा देने की मांग की.निशंक ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी आग्रह किया कि केदारनाथ की सही […]
देहरादून : आपदा में सुरक्षित बच गये मकानों में खुले आम डकैती डाले जाने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से इस्तीफा देने की मांग की.निशंक ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी आग्रह किया कि केदारनाथ की सही वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिये लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के नेतृत्व में एक सर्वदलीय समिति गठित की जाये ताकि लोगों के सामने सच आ सके.
केदारनाथ मंदिर में 11 सितंबर को शुरु हुई पूजा को ‘सरकारी पूजा’ बताते हुए निशंक ने आरोप लगाया कि तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों को इससे दूर रखकर सरकार ने ऐसा काम किया जो कभी पराधीन भारत में भी नहीं हुआ.
गुप्तकाशी से 24 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर केदारनाथ पहुंचने और पूजा करके लौटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि प्रशासन और सरकार ने तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों को केदारनाथ न जाने देने की साजिश की, जिससे किसी को वहां की वस्तुस्थिति का पता न चल सके.उन्होंने कहा कि आपदा के बाद वह 18 और 19 जून को केदारनाथ गये थे और तब जो हालात देखे थे और अब भी उन्होंने वही हालात देखे. उन्होंने कहा कि सरकार ने आपदा के बाद से पिछले तीन महीने के दौरान केदारनाथ में एक इंच भी काम नहीं किया और अब भी वहां श्रद्धालुओं की लाशें बिखरी पड़ी हैं.
निशंक ने कहा कि पूजा शुरु करने के लिये सरकार ने मंदिर के बाहर रास्ते में दोनों तरफ कनात लगा दी थीं, जिससे वहां जाने वाले लोगों को आस पास कुछ न दिखे. उन्होंने दावा किया कि हालांकि कनात उठाकर देखने पर वहां लाशें बिखरी दिखायी दे रहीं हैं और काफी दुर्गंध फैली हुई है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ मंदिर में भी जो सफाई दिख रही है, वह बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कर्मचारियों ने की है और उसमें भी सरकार की कोई भूमिका नहीं रही.निशंक ने आरोप लगाया कि एक तरफ तो सरकार तीर्थ पुरोहितों को केदारनाथ में उनके मकानों को देखने भी नहीं जाने दे रही है. वहीं, दूसरी ओर सरकारी नुमाइंदे और अधिकारी उन मकानों का ताला तोड़कर उनमें रह रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा में सुरक्षित बच गये करीब 100 से भी ज्यादा मकानों के न केवल ताले तोड़े गये, बल्कि उनमें रखे संदूकों के भी ताले तोड़कर उसमें रखी लाखों रुपये की संपत्ति पर भी डकैती डाली गयी. उन्होंने कहा कि इस दौरान तीर्थ पुरोहितों की बहियां और अन्य कागजात भी फेंक दिये गये.निशंक ने मुख्यमंत्री बहुगुणा से यह स्पष्ट करने को कहा कि किसके संरक्षण में मकानों के ताले तोड़े गये और किसने डकैती डाली. उन्होंने कहा कि इस संबंध में दोषियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिये.
निशंक ने मांग की कि मुख्यमंत्री को केदारनाथ के हालात के बारे में एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिये तथा अपने कृत्यों के लिये जनता से क्षमा मांगते हुए पद से तुरंत इस्तीफा देना चाहिये. पूर्व मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और सांसद सतपाल महाराज के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि 11 सितंबर को केदारनाथ में पूजा शुरु करने का मुहूर्त सही नहीं था.इस संबंध में उन्होंने दावा किया कि मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग भी अभी इस पूजा को शुरु करने के पक्ष में नहीं थे. वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि वैसे भी पूजा शुरु करने से ज्यादा यात्र शुरु करने पर जोर होना चाहिये क्योंकि मंदिर में पूजा तो श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये ही होती है.
उन्होंने केदारनाथ में मलबे की सफाई का काम काल सूची में डाली गयी कंपनी ईपीआईएल को देने की सरकारी मंशा पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह स्पष्ट करना चाहिये कि किसकी अनुशंसा पर उसे काम दिया गया और उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये.