नयी दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग की तकरार आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पहुंच गयी और दोनों ने एक दूसरे पर संविधान का उल्लंघन करने और अपने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर कदम उठाने के आरोप लगाये.
केजरीवाल की राष्ट्रपति से मुलाकात से कुछ घंटे पहले जंग ने मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें दिल्ली सरकार में प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर चल रहे टकराव से अवगत कराया. सूत्रों के मुताबिक कहा गया कि दिल्ली में संवैधानिक संकट जैसे हालात हैं.उपराज्यपाल का कहना है कि उन्हें अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार है और उनकी कोई भी कार्रवाई ‘असंवैधानिक’ नहीं है जैसा कि आप सरकार आरोप लगा रही है.
केजरीवाल ने राष्ट्रपति द्वारा दिये गये समय के अनुसार आज उनसे मुलाकात की. उनके साथ उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी थे, जिन्होंने कहा, ‘‘उपराज्यपाल इस तरह काम कर रहे हैं जैसे कि राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लगा हो और यहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं हो.’’
सिसोदिया ने मुखर्जी से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार होने के बावजूद उपराज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्रियों की अनदेखी कर रहे हैं और अधिकारियों को निर्देश जारी कर रहे हैं. अगर अधिकारी उनके आदेश का पालन नहीं करते तो वह उन्हें तबादले की धमकी तक दे रहे हैं. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.’’
सिसोदिया ने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति को बताया कि हमने कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति के उपराज्यपाल के फैसले को आपस में सलाह किये बिना स्वीकार कर लिया. लेकिन वह उसके बाद भी निर्वाचित सरकार की अनदेखी कर अधिकारियों की नियुक्ति कर रहे हैं.
वह यहां तक कि सचिवों की नियुक्तियों में हस्तक्षेप भी कर रहे हैं और उन्हें सीधे आदेश दे रहे हैं. तो लोकतंत्र कहां है.’’ जंग ने इससे पहले दिन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी इस मुद्दे पर मुलाकात की थी और आप सरकार के साथ उनके गतिरोध के बारे में जानकारी दी थी.
शकुंतला गैमलिन की दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्ति को लेकर आप सरकार और जंग के बीच टकराव तेज हो गया है. केजरीवाल का आरोप है कि उपराज्यपाल प्रशासन को अपने कब्जे में लेने का प्रयास कर रहे हैं.
केजरीवाल के पुरजोर विरोध के बावजूद जंग ने शुक्रवार को पद पर गैमलिन की नियुक्ति कर दी.सिसोदिया ने मुखर्जी के साथ मुलाकात को अच्छा बताते हुए कहा, ‘‘हमने उनसे अनुरोध किया कि उपराज्यपाल से कहें कि वह जो कर रहे हैं, नहीं करें। राष्ट्रपति ने ध्यान से हमारी बात सुनी और मुङो उम्मीद है कि वह इस मामले में देखेंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति को बताया कि उपराज्यपाल इस तरह से काम कर रहे हैं, जैसे कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो. मुख्य बात है कि वह सीधे अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं. पिछले एक हफ्ते में उन्होंने कम से कम चार बार मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मंत्रिपरिषद की अनदेखी कर सीधे अफसरों को आदेश दिये हैं.’’इससे पहले आज आप सरकार ने जंग की अनदेखी करते हुए वरिष्ठ अधिकारी अरविंद राय को सामान्य प्रशासन विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया.
गौर करने वाली बात है कि राय की नियुक्ति का आदेश राजेंद्र कुमार ने प्रधान सचिव (सेवा) की हैसियत से जारी किया जबकि आप सरकार द्वारा इस पद पर कुमार की नियुक्ति को जंग ने कल निष्प्रभावी घोषित किया था.आप सरकार ने अनिंदो मजूमदार से सामान्य प्रशासन विभाग और सेवा विभाग की जिम्मेदारी लेकर कुमार को सौंपी थी.
मजूमदार को शनिवार को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य सचिव के रुप में शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति की अधिसूचना वाला आदेश जारी किया था. उसी दिन शाम को उपराज्यपाल ने मजूमदार के स्थानांतरण को ‘निष्प्रभावी’ घोषित किया था.
मजूमदार कल जब दिल्ली सचिवालय में अपने दफ्तर पहुंचे थे तो वहां ताला लटका हुआ था. बाद में आप सरकार ने कुमार को सेवा और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव पद पर बैठा दिया.आप सरकार ने आज अपने आदेश में कहा कि राय को राजेंद्र कुमार की जगह प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. इस साल की शुरुआत में आप सरकार ने राय को गृह विभाग के प्रधान सचिव पद से हटाया था और तब से उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी.