मोदी के लिए वीजा नीति में बदलाव नहीं : अमेरिका

नयी दिल्ली / वॉशिंगटन :भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को वीजा देने पर अमेरिका ने आज कोई वादा नहीं किया और कहा कि इसकी वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.गुजरात में 2002 के दंगों के बाद मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर मोदी को 2005 में वीजा देने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2013 6:50 AM

नयी दिल्ली / वॉशिंगटन :भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को वीजा देने पर अमेरिका ने आज कोई वादा नहीं किया और कहा कि इसकी वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.गुजरात में 2002 के दंगों के बाद मानवाधिकार उल्लंघन के आधार पर मोदी को 2005 में वीजा देने से इंकार कर दिया गया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैरी हर्फ ने कहा कि वह किसी सामान्य आवेदक की तरह आवेदन कर सकते हैं और अमेरिकी कानूनों के तहत उनके मामले की समीक्षा होगी.

हर्फ से एक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया था कि मोदी को भाजपा की तरफ से कल प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद क्या अमेरिकी नीति में बदलाव किया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘इस विशेष मामले में हमारी पुरानी नीति में बदलाव नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री के संबंध में वीजा के लिए आवेदन करने को लेकर उनका स्वागत है और किसी अन्य आवेदक की तरह समीक्षा का इंतजार कीजिए.’’

हर्फ ने कहा, ‘‘निश्चित रुप से वह समीक्षा अमेरिकी कानून के मुताबिक होगी. और मैं सिर्फ यह आकलन नहीं करने जा रहा कि उस समीक्षा का परिणाम क्या होगा.’’ मोदी को 2005 में कूटनीतिक वीजा देने से इंकार कर दिया गया था और उनके पर्यटक एवं बिजनेस वीजा को आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम के तहत खारिज कर दिया गया था. मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के निर्णय पर हर्फ ने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया और कहा कि यह आंतरिक मुद्दा है.

*मजबूत नेता की छवि
* मोदी पहुंचे अहमदाबाद, जोरदार स्वागत
* भाजपा कार्यालय में मनी होली व दीवाली

अवश्य सफलता दिलायेंगे : इस मौके पर मोदी ने पार्टी नेतृत्व, कार्यकर्ता व राजग के सहयोगी दलों का आभार जताया. कहा, एक कार्यकर्ता के रूप में भिन्न-भिन्न दायित्वों को निभाया है. परमात्मा ने जितनी शक्ति व समझ दी है, उसका उपयोग पार्टी के विस्तार के लिए करूंगा. पार्टी नेतृत्व ने मुझ जैसे एक सामान्य परिवार से आये कार्यकर्ता को बड़े कार्य का दायित्व दिया है. अटल जी, आडवाणी जी के अथाह परिश्रम से वटवृक्ष बनी इस पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं की शुभकामनाएं और राष्ट्रीय नेतृत्व के आशीर्वाद से भाजपा को अवश्य सफलता दिलायेंगे.

कार्यकर्ताओं और समर्थकों को विश्वास दिलाता हूं कि 2014 के चुनाव में भाजपा विजयी हो, इसके लिए परिश्रम करने में कोई कमी नहीं रखूंगा. मैं देश के करोड़ों लोगों का आशीर्वाद चाहता हूं. 2014 में देश भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ, सुराज और विकास के लिए पूरा समर्पण करेगा. एनडीए के साथियों ने फोन कर आशीर्वाद दिये हैं, उनका भी हृदय से धन्यवाद.

व्यापक सहमति के प्रयास
इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने सहयोगी दलों शिव सेना और शिरोमणि अकाली दल को पार्टी के फैसले से अवगत कराया. दोनों दलों ने स्वागत किया. कई दिनों तक विरोधियों को मनाने की कोशिशों के बीच मोदी के मुद्दे पर संसदीय बोर्ड की बैठक से पहले भी पार्टी में व्यापक आम सहमति के प्रयास हुए.

संघ का दबाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के दबाव में आखिर में पार्टी के उन सभी नेताओं को मोदी के नाम पर सहमत हो जाना पड़ा, जो शुरु आती दौर में मोदी के खिलाफ थे. लेकिन पूरी पार्टी और संघ के वरिष्ठ नेता भी मिल कर भी आडवाणी को नहीं मना सके.

इसके मायने
इस घोषणा के साथ भाजपा से स्पष्ट कर दिया है कि वह 2014 के चुनावों में एक बार फिर हिंदुत्व के एजेंडे के साथ मैदान में उतरना चाहती है और इसके लिए वह 2002 के गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी पर लगाये जानेवाले आरोपों को महत्व नहीं देती है.

घर से निकले, फिर लौटे
इस फैसले से आडवाणी का विरोध छिपा नहीं रह सका. घर से निकले पार्टी मुख्यालय पर संसदीय दल की बैठक में शामिल होने के लिए, लेकिन फिर वापस लौट गये. बाद में राजनाथ के नाम लिखी अपनी एक चिट्ठी भी मीडिया को जारी किया.

दिन भर मनाने का दौर
संसदीय बोर्ड की बैठक से पहले नितिन गडकरी पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से विचार-विमर्श करने के बाद मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने के लिए आडवाणी को मनाने के प्रयास में उनसे मिले. राजनाथ ने आडवाणी से अकेले में भी बात की. प्रयास किये गये कि बोर्ड की बैठक में सभी नेता अपनी आपत्तियों को दरकिनार कर सर्वसम्मति से फैसला करें. सुबह चर्चा थी कि मोदी दिल्ली नहीं आयेंगे, लेकिन शाम को पहुंचे और सब साफ हो गया.

चुनौतियां कम नहीं
अब मोदी को असल विरोधियों के साथ-साथ अपनों का भी सामना करना है. सिर पर भाजपा ने कांटो भरा ताज रख दिया है, साबित करना है कि वे पार्टी को किस तरह 2014 में सत्ता दिला पायेंगे. सत्ता मिली, तो मोदी हीरो से सुपर हीरो, लेकिन अगर सत्ता न मिली, तो तो मोदी को फ्लॉप होने से कोई नहीं बचा पायेगा.

संसदीय बोर्ड के सदस्य
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, नितिन गडकरी, राम लाल और नरेंद्र मोदी.

‘‘ मैं देश के करोड़ों लोगों का आशीर्वाद चाहता हूं. उनसे अपील करता हूं कि जब देश संकट के दौर से गुजर रहा है, भाजपा को आशीर्वाद देकर देश को संकट से उबारने का हमें सामथ्र्य दें. मुङो विश्वास है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा देश भाजपा के कमल को लेकर नयी आशा, नयी उम्मीद और नयी सोच के साथ पूरा समर्थन करेगा. नरेंद्र मोदी, पीएम पद के लिए उम्मीदवार घोषित होने के बाद

वाजपेयी-आडवाणी से मिले
मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से उनके घर पर जा कर आशीर्वाद लिया. मुलाकात के दौरान आडवाणी ने मोदी को मिठाई भी खिलायी.

चुनाव की कमान जेटली को !
चर्चा है कि अब नरेंद्र मोदी चुनाव अभियान समिति के प्रमुख का पद छोड़ सकते हैं. एक न्यूज चैनल के मुताबिक इसकी जिम्मेदारी अरुण जेटली को दी जा सकती है.

मोदी के नाम की घोषणा से पहले ही एनडीए के सहयोगी शिव सेना और शिरोमणि अकाली दल ने एलान कर दिया है कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप मोदी का स्वागत करेंगे.

क्यों है विरोध
मोदी के नाम के एलान की मुखालफत करने के पीछे आडवाणी का तर्क है कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देने से मुख्य चुनावी मुद्दा वही बन जायेंगे और यूपीए सरकार को घेरनेवाले भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे विषय नेपथ्य में चले जायेंगे.

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